मुगल बादशाह अकबर के किले के समीप यमुना नदी के किनारे मनकामेश्वर मंदिर

Mankameshwar Mandir Agra मुगल बादशाह अकबर के किले के समीप यमुना नदी के किनारे मनकामेश्वर मंदिर स्थित है जहां पर भगवान शिव अपने विविध रूपों में विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

आगरा में शिव मंदिरों की श्रृंखला है। शहर के चारों कोने पर शिव विराजमान है। भगवान शिव का ऐसा मंदिर आगरा शहर में स्थित है जहां हर मनोकमना पूरी होती है। ये मंदिर है मनकामेश्वर मंदिर। पुराने शहर में ये मंदिर है जहां भगवान शिव विराजमान हैं। सावन में यहां विशेष पूजा-अर्चना के साथ भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है।

 

ये अन्य मंदिर भी हैं यहां

 

मंदिर परिसर में मनकामेश्वर शिव के अलावा सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर महादेव के शिवलिंग भी विराजमान हैं। रुद्रावतार कहे जाने वाले बजरंगबली की दक्षिणमुखी मूर्ति भी यहां पर है। भैरव, यक्ष और किन्नर भी यहां पर विराजमान हैं।

पुराने आगरा के रावतपाड़ा में स्थित मनःकामेश्वर मंदिर। मान्यता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना खुद भगवान शिव ने द्वापर युग में की थी। प्रचलित कथा के अनुसार, मथुरा में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनके बाल-रूप के दर्शन की कामना लेकर कैलाश से चले शिव ने एक रात यहां बिताई थी और साधना की थी।

 

उन्होंने यह प्रण किया था कि यदि वह कान्हा को अपनी गोद में खिला पाए तो यहां एक शिवलिंग की स्थापना करेंगे। अगले दिन जब वह गोकुल पहुंचे तो यशोदा मैया ने उनके भस्म-भभूत और जटा-जूटधारी रूप को देख कर मना कर दिया कि कान्हा उन्हें देख कर डर जाएगा। तब शिव वहीं एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए। शिव को आया जान कन्हैया ने लीला शुरू कर दी और रोते-रोते शिव की तरफ इशारा करने लगे। तब यशोदा माई ने शिव को बुला कर कान्हा को उनकी गोद में दिया और तब जाकर कृष्ण चुप हुए।

 

शिवलिंग की स्थापना की

वापसी में शिव ने यहां आकर शिवलिंग की स्थापना की और कहा कि जिस तरह से यहां मेरे मन की कामना पूरी हुई, उसी तरह से सच्चे मन से यहां आने वाले मेरे हर भक्त की मनोकामना पूरी होगी।इस मंदिर की खासियत यह है कि यदि कोई अंदर न जाना चाहे तो यहां बाहर से ही शिवलिंग के दर्शन हो जाते हैं।

 

वैसे भी चांदी मढ़े इस शिवलिंग के पास वही व्यक्ति जा सकता है, जिसने भारतीय वेशभूषा- धोती, साड़ी आदि पहनी हो। मंदिर परिसर के भीतर मुख्य गर्भ गृह के पीछे कई सारे छोटे-छोटे मंदिर हैं। यहां देसी घी से प्रज्ज्वलित होने वाली 11 अखंड जोत निरंतर जलती रहती हैं। अपनी मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां आकर एक दीप जलाते हैं, जिसकी कीमत सवा रुपए से लेकर सवा लाख रुपए तक हो सकती है।

 

सावन मास में लगता है मेला

 

सावन मास में शिव के दर्शन-पूजन को उमड़ती है भारी भीड़ शिव के दर्शन-पूजन के लिए वैसे तो यहां पर रोज शिवभक्तों की भीड़ आती है लेकिन सावन माह में श्रद्धालुओं की संख्या में खासा बढ़ोत्तरी हो जाती है। सावन के सोमवार, प्रदोष और खास तिथियों व शिवरात्रि पर तो यहां तिल रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

 

भोर से ही शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुट जाती है। रुद्राभिषेक आदि धार्मिक कर्म भी यहां संपादित किए जाते हैं। कुंभ, अर्ध कुंभ और माघ मेला के दौरान भी यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं।

 

ऐसे पहुंच सकते हैं मंदिर

 

मंदिर पुराने शहर में स्थित है, यहां तक पहुंचने के कई रास्ते हैं। यदि आप शहर के बाहर से आ रहे हैं तो आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के निकट उतरकर पैदल या आटो तक मंदिर पहुंचा जा सकता है। बिजलीघर से पैदल की रास्ता है।

Follow us on →     
IMG-20241223-WA0034

Updated Video
 
IMG-20241223-WA0034
gc goyal rajan
  • Related Posts

    रूनकता। 14 मार्च होली और जुमे को लेकर रूनकता जामा मस्जिद इमाम मुफ्ती शफीकुर्ररहमान क़ासमी की अपील. 

    रूनकता। 14 मार्च होली और जुमे को लेकर जामा मस्जिद इमाम मुफ्ती शफीकुर्रहमान क़ासमी की अपील     देशभर में 14 मार्च को एक ओर जहां रंगों का पर्व होली…

    रूनकता।शांति व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क, होली व रमज़ान को लेकर निकाला पैदल मार्च..

    शांति व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क, होली व रमज़ान को लेकर निकाला पैदल मार्च रूनकता।आगामी पावन पर्व होली तथा रमजान माह के द्वितीय जुमा को शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण…

    Leave a Reply