प्रवेश नगर कीजे सब काजा, हृदय राख कौशलपुर राजा…

आगरा संवादाता- अर्जुन रौतेला। हृदय में भगवान राम का नाम धारण करके जो भी काम करेंगे, उसमें सफलता मिलना तय है। हनुमान जी ने लंका प्रवेश और उसका दहन इन्हीं दो अक्षरों के माध्यम से किया।


सोमवार को गढ़ी ईश्वरा, ग्राम दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय में चल रहे बाबा मनःकामेश्वरनाथ रामलीला महोत्सव के नवम दिन लंका दहन, विभिषण शरणागति, सेतु बंध, रामेश्वर की स्थापना और अंगद रावण संवाद प्रसंग हुआ। लंका दहन प्रसंग में हनुमान जी के स्वरूप द्वारा भगवान के नाम की महिमा का बखान किया गया। वहीं रामेश्वर लिंगम की स्थापना पर भगवान राम ने जब कहा कि शिव द्रोही मम दास कहावा, सो नर सपनेहु नहीं मोहि भावा अर्थात शंकर जी से द्रोह करने वाला व्यक्ति मेरी कितनी ही भक्ति करे मुझे वो अच्छा नहीं लगता। प्रभु श्रीराम को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की आराधना सबसे आवश्यक है। यह संवाद सुनते ही प्रांगण श्रीराम और हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। श्रीमहंत योगेश पुरी ने कहा कि श्री राम ने नौ दिन की कड़ी शक्ति उपासना की और नौवे दिन मां दुर्गा प्रकट हुईं और विजयश्री का वरदान राम को दिया। अगले दिन यानी दशमी को मां के आशीर्वाद से राम ने रावण का वध किया और अधर्म पर धर्म की ध्वजा फहराई गई। मां सीता के अपमान करने वाले का कुल श्रीराम ने वंश सहित खत्म कर दिया। मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने बताया कि मंगलवार को लक्ष्मण शक्ति, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद का वध लीला प्रसंग होंगे।

राम मंदिर के शुभारंभ पर मनाएं दीपावली
आरएसएस के विभाग प्रचारक आनंद जी बाबा मनःकामेश्वरनाथ राम लीला महोत्सव में पहुंचे। उन्होंने
अयोध्या में विराजमान प्रभु श्रीराम लला के दर्शनों के लिए आगामी 22 जनवरी 2024 के बारे में जानकारी दी व आह्वान किया कि प्रत्येक घर में उस दिन दीपावली की जाए तो उपस्थित भक्त समूह में हर्षोल्लास छा गया।
शुभारंभ आरती के समय पधारे सूर्य प्रताप सिंह जी (श्रवण गंगा सेवा समिति) ने पूर्णिमा पर सोरो गंगाजी में स्नान एवं दर्शन के लिए आमंत्रित किया और निःशुल्क बस सेवा की बात कही।


फोटो, कैप्शन− गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्री मनः कामेश्वर बाल विद्यालय में आयोजित बाबा मनःकामेश्वर नाथ राम लीला महोत्सव में लीला मंचन करते कलाकार।

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gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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