आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला। गरजते बादलों के मध्य उमड़ते मेघ। काली अंधियारी रात, कड़कड़ाती बिजली के रूप में बदसता देवराज इंद्र का कोप किंतु ब्रजवासी निश्चिंत और शांत क्योंकि उनके कान्हा ने छाटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को जो लिया था धारण। प्रकृति संरक्षण और वंदन का संदेश देती श्रीकृष्ण की इस लीला का मंचन देख हर भक्त की जिव्हा पर बस एक ही शब्द थे हे गिर्राज धरण, हम तेरी शरण…।
वाटरवर्क्स चौराहा स्थित गौशाला में श्री कृष्ण लीला समिति के तत्ववाधान में चल रहे श्री कृष्ण लीला शताब्दी समारोह के छठवें दिन गोमय श्रंगार, गोवर्धन पूजन संग अन्नकूट प्रसादी का आयोजन किया गया। जब बात गोवर्धन पूजन की हो तो अन्य दिनों की अपेक्षा भक्तों की संख्या अधिक होनी अपेक्षित भी थी। सभी ने श्री गिर्राज जी की लीला का मंचन का भरपूर आनंद उठाया। श्रीराम शर्मा (निमाई) वृंदावन वालों के निर्देशन में कलाकारों ने मनमोहक मंचन किया।
लीला प्रसंग के अनुसार हर वर्ष बृज में इंद्र महाराज की पूजा होती थी, लेकिन कन्हैया ने कहा कि इंद्र महाराज की नहीं, बल्कि गोवर्धन महाराज की पूजा की जाएगी। एक बार तो बृज वासियों ने कन्हैया की बात का विरोध किया, लेकिन बाद में सब ने कन्हैया की बात मानी और गायों तथा गायों से प्राप्त द्रव्यों की पूजा की। इस पर इंद्र क्रोधित हो उठे और उन्होंने वृंदावन क्षेत्र में घनघोर वर्षा की। इस पर श्री कृष्ण ने इंद्र के घमंड को चूर करते हुए अपनी अंगुली से ही ब्रजवासियों के सहयोग से गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा करने के साथ-साथ गो वंश की रक्षा की।
लीला के माध्यम से दिखाया गया कि किस प्रकार इंद्र का मानमर्दन करने और संसार को प्रकृति संरक्षण का संदेश देने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन लीला की।
अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि लीला मंचन के बाद गौधन से बनी 15 फुट की गोवर्धन प्रतिमा का पूजन सभी श्रद्धालुओं ने पूंछरी के लौठा की जय जयकार लगाते हुए सामूहिक रूप से किया। खील,बताशे और अन्नकूट का प्रसाद लगाया गया और परिक्रमा लगाई। आयाेजन में मुख्य अतिथि उप्र लघु उद्योग निगम लिमिटेड के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग (दर्जा राज्य मंत्री), प्रमुख समाजसेवी सुनील विकल सहित मुकेश मित्तल, मनोज गुप्ता, विजय रोहतगी, संजय गर्ग, अशोक गोयल, पार्षद मुरारी लाल गोयल, शेखर गोयल, कृष्ण कन्हैया अग्रवाल, बृजेश अग्रवाल, प्रभात रोहतगी, गिर्राज बंसल, बीजी अग्रवाल, संजीव गुप्ता, संजय, विष्णु अग्रवाल, मीडिया प्रभारी तनु गुप्ता आदि ने स्वरूपों की आरती उतारी।
फोटो, कैप्शनः फोटो, कैप्शन− बल्केश्वर गौशाला में चल रहे श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में लीला का मंचन करते कलाकार।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।