अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। दयालबाग में जतिन रिसॉर्ट के सामने जनक महल पार्क में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा में साध्वी पूजा शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण जब द्वारका से जाते हैं तब कुंती बुआ उनसे वरदान रूपी दुख मांगती हैं। इस कथा के अनुसार उन्होंने बताया कि कुंती बुआ के दुख मांगने पर मधुसूदन श्रीकृष्ण भगवान बोलते हैं कि बुआ आपने तो सारी उम्र दुख भोगे हैं अब भी दुख मांगती हो तो कुंती बुआ कहती हैं की है मधुसूदन दुख में ही तुम सदैव याद रहते हो सुख में तो तुम्हें भूल जाते हैं और मैं चाहती हूं सदैव तुम मेरे स्मरण में रहो मेरी यादों में रहो, दुख के समय इंसान को घबराना नहीं चाहिए दुख परमात्मा के द्वारा भेजी हुई अनमोल धरोहर है दुख में भगवान सदैव याद रहते हैं इंसान को दुख में घबराना नहीं चाहिए और सुख में अहंकार नहीं करना चाहिए दुख सुख में सदैव भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए।
कथा में आयोजक महावीर प्रसाद बंसल सपत्नीक, उनके पुत्रगण सूरज, अमित, नरेश बहुएं, नाते रिश्तेदार व अन्य श्रोतागण पूरी भक्तिभाव से कथा सुनते दिखाई दिए यह जानकारी मीडिया प्रभारी भूपेश कालरा ने दी।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।