अर्जुन रौतेला संवादाता। आज जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बांदा कार्यालय, पीली कोठी में सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस मौके पर पार्टी के प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर गुरु गोविंद सिंह जी के आदर्शों और उनके बलिदान को याद किया।
कार्यक्रम का आयोजन जेडीयू नेत्री शालिनी सिंह पटेल और जिला महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष निहारिका मंगल के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर जय प्रकाश निगम, अर्जुन सिंह, ज्योति मौर्या (नगर अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ, अतर्रा), फिरोज सिद्दीकी, नीरज सिंह, मंजू गुप्ता, आदित्य गोस्वामी, प्रेम शंकर प्राणायामी, संजना गुप्ता, लवलेश यादव, नितिन कुमार सिंह, बृजेश सिंह, सुखेंद्र कुमार, कुलदीप सिंह, और प्रशांत मंगल जैसे पार्टी के प्रमुख सदस्य मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत गुरु गोविंद सिंह जी की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से की गई। इसके बाद, उपस्थित सदस्यों ने गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन और उनके अदम्य साहस पर अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन हमें न्याय, समानता और धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।
शालिनी सिंह पटेल ने अपने भाषण में कहा, “गुरु गोविंद सिंह जी केवल एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि वे एक महान योद्धा, कवि और समाज सुधारक भी थे। उनकी शिक्षाएं हमें सच्चाई के मार्ग पर चलने और समाज के लिए त्याग करने की प्रेरणा देती हैं।”
इस मौके पर महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। निहारिका मंगल ने कहा कि आज का दिन हमें गुरु गोविंद सिंह जी के विचारों को आत्मसात करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेने का अवसर देता है।
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक प्रार्थना और लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने भाग लिया। इस आयोजन ने न केवल सिख धर्म के प्रति सम्मान को बढ़ावा दिया बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया।
जेडीयू बांदा के इस कार्यक्रम ने गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया और उनके प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की।
Prem Chauhan
Editor in ChiefUpdated Video
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।