
संवादाता अर्जुन रौतेला। हिमाचल के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के मामले में आज स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए अनुज कुमार सिंह की कोर्ट में दोपहर 2:30 बजे से 4:00 बजे तक दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस हुई। कंगना की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने कोर्ट में तमाम रूलिंग और अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि अखबारों में न्यूज़ चैनलों में जो भी समाचार छपे हैं वह कंगना द्वारा दिए हुए नहीं है ।और कंगना ने तो कुछ अन्य न्यूज़ एजेंसी से जो पढ़ा था और और अखबारों में छपा था वहीं बोला था । छपी खबर पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर एडवोकेट ने कहा कि अगर नेता विपक्षी दल राहुल गांधी दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे तमाम नेताओं के विरुद्ध अखबारों और न्यूज़ चैनलों के आधार पर एफ आई आर की जा सकती है या कोर्ट तलब कर सकता है तो फिर कंगना रनौत के मामले में क्यों नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने कहा कि कंगना ने कभी भी महात्मा गांधी और शहीदों का अपमान नहीं किया और ना ही किसानों का अपमान किया है इस पर बादी की ओर से कहा गया कि कंगना के द्वारा की गई इंस्टाग्राम पर पोस्ट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं भाजपा के तमाम नेताओं ने तीव्र निंदा की थी और देश के तमाम इतिहासकारों साहित्यकारों विद्वानों ने कंगना से महात्मा गांधी के प्रति की गई अभद्र टिप्पणी को लेकर उनसे पद्मश्री वापस करने की तक की मांग कर डाली थी। और रहा किसानों के अपमान का मामला तो कंगना ने अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक धरने पर बैठे किसानों को हत्यारा बलात्कारी और अलगाव बादी बताया।
इस पर कंगना की अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने कहा कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी की मेनिफेस्टो से प्रभावित होकर कंगना जी ने ऐसा बयान दिया था इस पर बादी रमाशंकर एडवोकेट दे अनसूया चौधरी से प्रश्न किया कि क्या उस मेनिफेस्टो में बीजेपी ने लिखा है कि देश की आजादी सन 2014 मिली है ? क्या यह लिखा है कि शहीदों की शहादत इसी भीख के लिए दी गई थी ।इस पर अनसूया चौधरी के पास कुछ जवाब नहीं था। करीब डेढ़ घंटे तक जोरदार बहस सुनने के बाद सुनने के बाद कोर्ट ने कई बार कंगना की अधिवक्ता को टोका और कहा कि आप फैक्ट पर बात करिए जो आरोप लगाए गए हैं उन पर बात करिए लेकिन कंगना की तरफ से कोई संतोष जनक जवाब नहीं आ सका।
अंत में कोर्ट ने बहस सुनने के बाद 6 मई 2025 को आदेश की तिथि नियत कर दी । बादी अधिवक्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया, सुरेंद्र, लखन, राम दत्त दिवाकर, बी एस फौजदार, सुमंत चतुर्वेदी, राममोहन शर्मा, नौशाद अहमद, आर एस मौर्य ,नवीन वर्मा, उमेश जोशी सहित करीब तीन दर्जन से अधिक अधिवक्ताओं ने भाग लिया।
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