एक मजबूर पिता जो (बी. जे. पी) का नेता भी है, भटक रहा है इंसाफ के लिए
जिसके सीने में दर्द दवा रहता है, वही दूसरों के दर्द का एहसास भी कर पाता है। जब इंसाफ के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को भी भटकना पड़े तो कह सकते हैं, देश की नौकरशाही कितनी निरंकुश हो चली है। निरंकुश नौकरशाही एवं दमनकारी शासन प्रणाली प्रजातंत्र में, संपूर्ण प्रजा को मौत की खाई की ओर धकेल रही है। ऐसा ही एक मामला आगरा थाना न्यू आगरा के अंतर्गत नगला पदी क्षेत्र के निवासी अनूप तिवारी का प्रकाश में आया है। गौर करने की बात है कि अनूप तिवारी पूर्व से ही बीजेपी से जुड़े हुए हैं, तथा कई पदों पर रहकर पार्टी के लिए अपना दायित्व निभा चुके हैं। परंतु जब आज उनके ऊपर विपत्ति आई, तो पार्टी का एक नेता भी उनके साथ खड़ा नजर नहीं आता, अब इसे बेशर्मी कहे या विडंबना। दिनांक 8/4/22 को उनके पुत्र धनंजय तिवारी उम्र करीब 21 से 22 वर्ष जोकि मेकेनिकल इंजीनियरिंग के आखरी वर्ष का छात्र था, उसने रात के समय आत्महत्या कर ली। तलाशी के दौरान उसके कमरे में डायरी के अंदर सुसाइड नोट मिला। नोट में 3 लड़कों के नाम उसने लिखे थे जो कि उसके मित्र भी नहीं थे।(मयंक शर्मा, संचित गुप्ता, व मयंक शर्मा के भाई का नाम भी उसमें लिखा था) यह भी लिखा था कि यह सुसाइड नहीं काइंड ऑफ मर्डर है, पापा मेरे कातिलों को सजा जरूर दिलाना। इस केस की विवेचना एसएसआई (117/22) दीपक चंद दिक्षित को दी गई। पहले दिन से ही दीपक दीक्षित(एस एस आई) ने इस केस में ढील छोड़ना प्रारंभ कर दिया एवं बिना ज्यादा तहकीकात किए मौजूदा साक्ष्यों को नजरअंदाज करते हुए दूसरे पक्ष को बचाने का पुरजोर प्रयास शुरू कर दिया। यहां तक कि मृतक के मोबाइल जो कि नामजद लड़कों से हुई मारपीट के दौरान टूटा था एवं लैपटॉप को भी जांच के दायरे में लाना उचित नहीं समझा गया। स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार की बलिवेदी पर इस जांच को चढ़ा दिया गया, और पुलिस की कार्य करने की तेजी भी क्या कमाल थी? की 579 पन्नू की विवेचना मात्र 1 माह 20 दिनों में पूरी कर दी गई जबकि अन्य जांचें छह छह माह तक रुकी पड़ी रहती है एवं विवेचना का एक पन्ना भी कई महीनों तक नहीं लिखा जाता है। एसएसआई दीपक चंद दीक्षित ने 306 के मुकदमे को अपनी फर्जी जांच के माध्यम से प्रभावित करते हुए 323 में तब्दील कर दिया। जब परिजनों ने सबूतों को एकत्रित करना शुरू किया तो पाया लड़के की एक महिला मित्र थी जिसके कारण सारा फसाद उत्पन्न हुआ। जो जांच पुलिस को करनी चाहिए थी वह जांच उस मृतक लड़के के परिजनों को करनी पड़ी एवं साक्ष्यों को एकत्रित करना पड़ा। उस लड़की के मृतक धनंजय के अलावा अन्य कई लड़कों के साथ रिश्ते थे। उस लड़की ने मृतक धनंजय को झांसा देकर उससे झूठी शादी का नोट भी तैयार करा लिया था जिसमें उस लड़की एवं मृतक धनंजय के हस्ताक्षर भी मौजूद है। दूसरी तरफ लड़की दावा करती है कि वह धनंजय को जानती तक नहीं है पर मौजूदा साक्ष इस बात को पूर्णता झुठला रहे हैं। सारे मौजूदा साक्ष्यों को देखकर लगता है कि आरोपियों के साथ पुलिस द्वारा दोस्ताना व्यवहार निभाया गया है। मृतक के पिता अनूप तिवारी को आगरा एसएसपी प्रभाकर चौधरी पर पूर्ण भरोसा है, की वह उसकी फरियाद अवश्य सुनेंगे एवं इस केस में पुनः विवेचना करा कर मेरे मृतक पुत्र धनंजय को इंसाफ जरुर दिलाएंगे व आरोपियों को सलाखों के पीछे अवश्य भेजेंगे।
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