
‘भगत’ मनीषी ख़लीफ़ा फूलसिंह यादव की स्मृति में भव्य समारोह की शुरुआत
आगरा। ” लोकसाहित्य और मुख्यधारा साहित्य के बीच की दूरी इतनी बारीक है कि एक की कमी होती है तो दूसरा स्वयं क्षीण हो जाता है ” यह कहना है हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक और ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान’ के पूर्व निदेशक प्रो० रामवीर सिंह का। वह आज यहाँ लोक नाट्य ‘भगत’ मनीषी स्व० ख़लीफ़ा फूलसिंह यादव की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता की हैसियत से बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन सांस्कृतिक संस्था ‘रंगलीला’, ‘प्रेमकुमारी शर्मा स्मृति समारोह समिति’ और ‘शीरोज़ हैंगआउट’ ने ‘नागरी प्रचारिणी सभा में संयुक्त रूप से किया था।
प्रो०सिंह ने कहा कि अमीर खुसरो ने जिस तरह का लोक साहित्य रचा वह उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओ के मुख्यधारा साहित्य को सुद्रण बनाता चला गया। वह आज भी दोनों भाषाओ के साहित्य में उपस्थित हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत में विषय प्रवर्तन करते हुए उर्दू की लेखिका और बैकुण्ठीदेवी कन्या विद्यालय में उर्दू विभाग की अध्यक्ष प्रो० नसरीन बेगम ने कहा कि प्रेमचंद से लेकर राहीमासूम रजा तक हिंदी और उर्दू के जितने भी बड़े रचनाकार हुए हैं उन सब में अपने लेखन में लोक को आधार बनाया और यही वजह है कि लोकसाहित्य और उनके साहित्य के बीच फासला बहुत कम है।
कार्यक्रम में बोलते हुए वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी अनिल शुक्ल ने लोकसाहित्य और उससे जुड़ी लोक प्रस्तुति कलाओं में व्याप्त संकट की चर्चा करते हुए कहा कि आज़ादी के बाद उम्मीद की गयी थी लोक साहित्य और लोक कलाओं का विकास होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हाल ही में उप्र पर्यटन विभाग द्वारा प्रदेश की लोक नाट्य ‘भगत’ सहित लुप्तप्राय होती डेड़ दर्जन से अधिक लोक प्रस्तुति कलाओं को चिन्हित करके उनके पुनरुद्धार में सहायता प्रदान करने के प्रयासों की प्रशंसा और ‘रंगलीला’ को उसके पुनरुद्धार के लिए उत्तरदायित्व प्रदान करने की मंशाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे हम लोक कलाओं से जुड़े लोगों की हिम्मत बढ़ी है।
इस अवसर पर ‘रंगलीला’ के कलाकारों ने ख़लीफ़ा फूलसिंह यादव द्वारा रचित भगत ‘मेरे बाबुल का बीजना’ के अंशों को दर्शकों के समक्ष सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। प्रस्तुति देने वाले अभिनेता/ अभिनेत्रियों में ख़लीफ़ा पतोलराम, ख़लीफ़ा राकेश यादव, महिला ख़लीफ़ा हिमानी चतुर्वेदी, आदित्य कुमार, कृति यादव और मिली बघेल ने भाग लिया। संगीत निर्देशक गोपाल शर्मा और ढोलक पर यशपाल सिंह थे। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ लोक गीतकार डा० बृजबिहारी ‘बिरजू’ और लोक गायक डा० राजीव शर्मा एवं मण्डली ने ब्रिज के लोक गीतों से पूरे माहौल को लोक संगीतमय बना दिया। कार्यक्रम का आयोजन अजय तोमर और रामभरत उपाध्याय ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा० अखिलेश श्रोत्रिय ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सोम ठाकुर ने की। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मनोज सिंह ने किया।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोगों में सर्वश्री शलभ भारती , डॉ मुनीश्वर गुप्ता, आभा चतुर्वेदी , सुनीता चौहान , मन्नू शर्मा, मनीषा शुक्ल, राकेश यादव, हिमानी चतुर्वेदी, नीरज जैन , रमेश पंडित , श्री कृष्णा , मनमोहन भारद्वाज , अशोक रावत , संजीव गौतम, सुधांशु साहिल हैं ।





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