श्रीमद् भागवत सप्ताह के द्वितीय दिवस पर राजा परीक्षित जन्म की रोचक कथा का वर्णन

कथा व्यास आचार्य कृष्णकान्त शास्त्री द्वारा श्रवण कराई जा रही है श्रीमद भागवद कथा

आगरा (अर्जुन रौतेला, संवादाता)। राघव सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवद कथा में आचार्य कृष्णकान्त शास्त्री जी ने राजा परीक्षित जन्म की रोचक कथा का वर्णन किया, उन्होंने कहा कि विद्वानों ने नवजात शिशु का नाम परीक्षित रखा क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही इस बच्चे की मां के गर्भ में रक्षा की थी। राजा बनने पर परीक्षित ने कलयुग को दंड देने का प्रसंग सुनाते हुए श्री शास्त्री ने कहा कि कलयुग राजा परीक्षित की शरणागति हो गया है इसलिए उसे क्षमा कर दीजिए। कलयुग ने अपने रहने के स्थान को मांगा तो राजा ने चार स्थान दिए। पहला स्थान जुआ क्रीड़ा, दूसरा शराब खाना, तीसरा वैश्य स्थल दिए। उन्होंने कहा कि पाप एक व्यक्ति के जीवन को सही मार्ग से गलत मार्ग की ओर मोड़ देता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति को अच्छे व पुण्य के कार्य करने चाहिए।

भागवत कथा को सुनने के लिए आसपास के भक्त पहुंचे। भगवान के जयकारे लगातार लग रहे थे। आचार्य कृष्णकान्त शास्त्री जी ने भक्तों को बताया कि भगवान ने कुंती से कहा कि बुआ आपने आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा। आज कुछ मांग लीजिए। मैं आपको कुछ देना चाहता हूं। कुंती की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि हे श्रीकृष्ण अगर कुछ देना ही चाहते हो तो मुझे दु:ख दे दो। मैं बहुत सारा दु:ख चाहती हूं। श्रीकृष्ण आश्चर्य में पड़ गए।

श्रीकृष्ण ने पूछा कि ऐसा क्यों बुआ, तुम्हें दु:ख ही क्यों चाहिए। कुंती ने जवाब दिया कि जब जीवन में दु:ख रहता है तो तुम्हारा स्मरण भी रहता है। हर घड़ी तुम याद आते हो। सुख में तो यदा-कदा ही तुम्हारी याद आती है। तुम याद आओगे तो में तुम्हारी पूजा और प्रार्थना भी कर सकूंगी।
यह लोग रहे उपस्थित रहे।


मुख्य यजमान सीता देवी, यज्ञाचार्य पंकज शास्त्री, रेनू देवी, विनोद जी, राहुल नंदवंशी, कंचन नंदवंशी, मिथलेश देवी, डॉ योगेश कुमार, अनुज शास्त्री, नारायण शास्त्री, सुमन देवी, पूनम देवी, उर्मिला, अव्यांश, आव्या, राघव सरकार, पूजा देवी, कृष्णा गुप्ता, शिल्पी गुप्ता आदि शामिल थे ।

Follow us on →     
IMG-20241223-WA0034

Updated Video
 
IMG-20241223-WA0034
gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

    Related Posts

    उत्कल ब्राह्मण परिवार चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा होली के पावन पर्व पर संगीतमय कार्यक्रम का हुआ आयोजन

    उत्कल ब्राह्मण परिवार चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रंग पर्व होली महोस्छव धूम धाम से मनाया गया गुरु वार को संध्या 7 बजे से रंगस्छोब कार्यक्रम प्रारंभ हुआ, सनातन धर्म के सभी…

    बहराइच * मेडिकल कॉलेज का राज्य स्तरीय टीम ने किया निरीक्षण *मनोज त्रिपाठी.

    आज 11 मार्च 2025 दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य स्तरीय टीम ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ की प्रोफेसर डॉ. शालिनी त्रिपाठी के नेतृत्व में मेडिकल कॉलेज बहराइच के…

    Leave a Reply