बाबा मनःकामेश्वरनाथ रामलीला महोत्सव का शुभारंभ, झिलमिल रोशनी से जगमग हुआ दिगनेर

आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला)। द्वार− द्वार तोरण सजे हैं, द्वार− द्वार दीप जले हैं। शहर के मुख्य स्थलों तक सीमित रहने वाली श्रीराम लीला जब गांव में आयोजित की गयी तो लगा जैसे जन− जन के आराध्य राम पधारे हैं। रविवार को बाबा मनः कामेश्वरनाथ रामलीला महोत्सव का आरंभ गढ़ी ईश्वरा, ग्राम दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय पर हुआ।

महोत्सव की शुरुआत द्वार, वेद, देव, वेदी पूजन, श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ व रुद्राभिषेक से हुयी। सांझ ढलते ही जैसे पूरे गांव ही प्रकाश से जगमग हो उठा। गांव की हर गली, हर सड़क झिलमिल रोशनी से प्रकाशित हो रही थी। हर घर पर ध्वज पताकाएं लहरा रही थीं और बच्चा− बच्चा जय श्री राम के जयघाेष लगा रहा था।
लीला मंचन का शुभारंभ श्रीमहन्त योगेश पुरी जी के साथ डॉ.दुर्गा शंकर शुक्ला ( संस्थापक, कल्याणं करोति, अयोध्या ) और डॉ आशा शुक्ला ने राम दरबार के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया।
महंतश्री योगेश पुरी महाराज ने सभी स्वरूपों की आरती उतारी। मठ प्रशासक हरीहर पुरी ने बताया कि 25 अक्टूबर को दशहरा पर्व पर समापन शतचंडी पाठ पूर्णाहुति व ब्राह्मण भोज के साथ होगा। सुधीर यादव, राहुल चतुर्वेदी आदि ने व्यवस्था संभाली।

नारद लीला प्रसंग देख भाव विभोर हुए श्रद्धालु

वृंदावन के कलाकारों द्वारा श्रीराम लीला मंचन का आरंभ नारद मुनि लीला प्रसंग से हुआ। लीला में दर्शाया कि नारद एक जगह भगवान के भजन में इतने लीन हो जाते हैं कि इंद्र का सिंहासन हिल जाता है। सिंहासन जाने के भय के चलते इंद्र नारद के तप को भंग करने के लिए कामदेव और अप्सरा भेजते हैं। फिर भी नारद का ध्यान भंग नहीं होता है तो कामदेव नतमस्तक हो जाता है और नारदजी से क्षमा माँगते है। इसकी जानकारी होने पर नारद को अभिमान हो जाता है कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया है।
इसकी जानकारी वह एक-एक करके ब्रह्मा, महेश और विष्णु को देते हैं। अभिमान को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने अपनी माया से सुंदर नगर और सुंदर राजकुमारी की रचना की। जहां पहुँचकर नारद श्रीलनिधी राजा के आग्रह पर उनकी बेटी विश्वमोहिनी की हस्तरेखा देखते हैं। हस्तरेखा देखकर नारद विश्वमोहिनी से विवाह करना चाहते हैं और भगवान विष्णु से हरि रूप लेकर आते हैं। जबकि हरि रूप में उन्हें बंदर का रूप दिया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु मौके पर पहुँच जाते हैं और विश्वमोहिनी से विवाह करते हैं। यहाँ नारद श्राप देते हैं कि जिस प्रकार में एक स्त्री के लिए व्याकुल हुआ हूँ। उसी प्रकार आपको (विष्णु भगवान) को भी एक स्त्री के वियोग में व्याकुल होना पड़ेगा। इसके साथ ही जिस बंदर का चेहरा दिया है। ऐसे बंदर ही पृथ्वीलोक पर आपकी मदद करेंगे। इसे विष्णु भगवान स्वीकार करते हैं और बताते हैं कि यह सब तो उनकी माया थी।

आह्वा लीला मंचन से पूर्व हुआ देवों का आह्वान
लीला से पूर्व गौशाला में मठ प्रशासक हरिहर पुरी द्वारा यज्ञ श्री रूद्राभिषेक व शतचंडी महायज्ञ में पंचांग पीठ पूजन, वास्तु मण्डल, क्षेत्रपाल, नवग्रह, चतुश्ष्टि योगनी, सर्वतो भद्र मण्डल, एकलिगंतो भद्र, रूद्र, वरूण कलश के साथ, चारों वेद कलश, इंद्र हनुमत् ध्वजा की स्थापना कर पूजन किया गया। सायंकाल में गुरू समाधि स्थान पर विराजमान शिवलिंग पर रूद्राभिषेक कराया गया ।
पूजा कार्य महर्षि महेश योगी जी, वैदिक विश्व विद्यापीठ, ब्रह्म स्थान करौंधी, कटनी, मध्य प्रदेश से पधारे आचार्य अजय तिवारी, आचार्य श्री राम फल आदि ने सम्पन्न कराया।

महोत्सव का किया जा लाइव प्रसारण
बाबा मनः कामेश्वरनाथ रामलीला महोत्सव का लाइव लाइव प्रसारण देश− विदेश में सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है साथ ही शहर में भी विभिन्न स्थानों पर एलइडी के माध्यम से प्रसारण की व्यवस्था की गयी है।

फोटो, कैप्शन− गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्री मनः कामेश्वर बाल विद्यालय में आयोजित बाबा मनःकामेश्वर नाथ राम लीला महोत्सव में स्वरूपों की आरती उतारते महांतश्री योगेश पुरी।


फोटो, कैप्शन : गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्री मनः कामेश्वर बाल विद्यालय में आयोजित बाबा मनःकामेश्वर नाथ राम लीला महोत्सव का शुभारंभ करते महंतश्री योगेश पुरी, हरिहर पुरी, दुर्गाशंकर शुक्ला, सुधीर यादव।

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gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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