आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला। चित्त चोर, माखन चोर, आया देखाे वो नंदकिशाेर..ग्वाल बाल की सेना लेकर दबे पांव ठुमक ठुमक चलकर जब नंद के लाल गोपाल आए तो हर श्रद्धालु के नेत्रों में अपने तारणहार की अद्भुत लीला की छवि उतर आई।
वाटरवर्क्स स्थित गौशाला प्रांगण में श्रीकृष्ण लीला समिति के तत्वावधान में चल रहे श्री कृष्ण लीला शताब्दी महोत्सव के सातवें दिन शंकर लीला और माखन चोरी लीला प्रसंग हुए। लीला प्रसंग में सर्वप्रथम हरि और हर यानि श्री नारायण हरि विष्णु और महादेव का मिलन प्रसंग हुआ। महादेव के आराध्य नारायण और नारायण के आराध्य महादेव की जब श्रीकृष्ण अवतार में भेंट हुई तो महादेव को गोपी का रूप भी धारण करना पड़ा। इसके हुआ गूंजा मैया मोरी मैं नहीं माखन खायौ…भजन के साथ माखन चोरी प्रसंग। बाल गाेपल की ग्वालबालों संग नटखट लीला ने श्रद्धालुओं को भाव विभाेर कर दिया।
बाल्यावस्था से ही कान्हा को मक्खन अतिप्रिय था। माता यशोदा अपने लाला को जो मक्खन देती थीं, उससे उनका मन नहीं भरता था। इसलिए, मैया जहां भी मक्खन रखतीं कृष्ण चुपके से ब्रज के सखाओं के साथ आकर सारा माखन खा जाते थे। यशोदा को कुछ समझ नहीं आया कि माखन कौन चुरा रहा है। उन्होंने एक दिन चुपके से मक्खन से भरे छोटे-छोटे घड़ों को रस्सी के सहारे ऊपर टांग दिया, लेकिन श्री कृष्ण की नजरों से क्या छिप सकता है, उन्होंने माता को मक्खन रखते हुए देख लिया।
उन्होंने सभी ग्वालों को इकट्ठा किया और एक घेरा बनाया। उसके ऊपर चढ़कर मटकी फोड़ी और सखाओं सहित सम्पूर्ण माखन चट कर गए। यशोदा यह सब चुपके से देख रही थीं। बोलीं, अच्छा तो तुम हो वो माखन चोर, जिसने मुझे बहुत परेशान किया है। कृष्ण, माता को देखकर हंसने लगे और बोले “मैया मैं नहीं माखन खायो।” इस पर माता बोली कि अपनी मैया से ही झूठ बोलते हो कृष्णा।
कन्हैया की भोली-सी सूरत देखकर और उसकी प्यारी-सी बात सुनकर यशोदा ने कृष्ण को अपने गले लगा लिया और बोलने लगीं मेरा प्यारा नटखट माखन चोर। बस तभी से श्री कृष्ण को प्रेम से माखन चोर कहकर बुलाया जाने लगा। लीला प्रसंग के बाद ब्रज की सुप्रसिद्ध फूलों की होली ने बरसाना का दृश्य जीवंत कर दिया और दर्शकदीर्घा से देर तक राधे राधे के जयकारे लगते रहे। अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को श्रीकृष्ण सुदामा मिलन लीला प्रसंग होगा।
फोटो, कैप्शनः फोटो, कैप्शन− बल्केश्वर गौशाला में चल रहे श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में लीला का मंचन करते कलाकार।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।