आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला। घूंघट में सकुचाती वृंदारानी और सेहरे में बांके की छवि बांकी। दिव्य विवाह की वेदी पर दिव्य जोड़ी की दिव्यता देख हर कोई हो रहा था निहाल।
गुरुवार को देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर श्री मनः कामेश्वर महिला मंडल द्वारा 18 वां तुलसी शालिग्राम विवाह समारोह श्रीनाथ जी मंदिर प्रांगण, श्री मनः कामेश्वर मंदिर, रावतपाड़ा में आयोजित किया गया।
महंत श्री योगेश पुरी एवं मठ प्रशासक हरिहर पुरी के सानिध्य में शालिग्राम जी की वरयात्रा श्रीमनः कामेश्वर मंदिर परिक्रमा मार्ग से निकाली गयी। रावतपाड़ा, जौहरी बाजार, सुभाष बाजार होते हुए बारात दरेसी से श्रीमनः कामेश्वर मंदिर पहुंची।
वरयात्रा में सैंकड़ाें महिलाएं लाल परिधान धारण कर तुलसी मैया की पौध हाथाें में लेकर शामिल रहीं।
बग्गी में तुलसी शालिग्राम को विराजित कर महंतश्री योगेश पुरी और यजमान नीलिमा− राहुल गुप्ता चल रहे थे। वरयात्रा के मंदिर पहुंचने पर तुलसी सालिगराम विवाह समारोह विधि विधान से पूर्ण हुआ। आंचल में सिमटी तुलसा रानी की छवि देख महिलाएं बलइयां ले रही थीं। कन्यादान के लिए जैसे होड़ लगी रही। राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित, समाज सेवी बंटी ग्रोवर, डॉ रुचि चतुर्वेदी उपस्थित रहे। मंगल गीतों के साथ दीप्ति गर्ग, कुमकुम गुप्ता, अन्ना, शिमला, अनुभा, राजकुमारी, नीता, रानी शर्मा, सुषमा, मंजू, दीपिका शर्मा आदि ने आयोजन का आनंद लिया।
फोटो, कैप्शन− श्री नाथ जी मंदिर प्रांगण, श्रीमनःकामेश्वर मंदिर, रावतपाड़ा में महिला मंडल द्वारा आयोजित तुलसी शालिग्राम विवाह में उपस्थित श्रद्धालु। दूसरे चित्र में वरयात्रा में शामिल श्रद्धालु नृत्य करते हुए।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।