अप्साध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने अप्सा के विद्यालयों को दिये दिशा निर्देश

अर्जुन रौतेला (संवादाता आगरा)। अप्साध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता द्वारा अप्सा से संबद्ध समस्त विद्यालयों को 16 से 22 जनवरी तक प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन हेतु दिए गए विभिन्न सुझाव।

जैसा कि आप सभी को विदित है कि 22 जनवरी, 2024 को चिर प्रतीक्षित जन जन के दुलारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा सदी के अविस्मरणीय अवसर के लिए जहाँ तक हो सके हम सभी को निम्न प्रकार से अपना योगदान देना है –

1. समस्त विद्यालयों में दीपोत्सव की उचित व्यवस्था की जाए।

2. विद्यालय के आसपास व विद्यालय के अंदर सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए।

3. विद्यालय के मुख्य प्रवेशद्वार पर बंदनवार और तोरण लगवाए जाएँ एवं रंगोली बनाई जाए।

4. 16 जनवरी से 20 जनवरी तक प्रतिदिन रामायण पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जाए।

5. कक्षाओं में श्रीराम के जीवन से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की जाए।

6. छात्रों को राम मंदिर के पुनर्निर्माण के महत्व को दर्शाते हुए जागरूक किया जाए।

7. अभिभावकों से भी इस दिन को विशेष रूप से मनाने व घर में दीपोत्सव करने को कहा जाए।

8. नित्य प्रति प्रार्थना-सभा में श्रीराम स्तुति का पाठ किया जाए।

9. श्रीराम जीवन पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे संकीर्तन, नृत्य, गायन आदि का आयोजन किया जाए।

10. प्रत्येक विद्यालय से एक झांकी प्रस्तुत कर नगर भ्रमण किया जाए।

11. प्री-प्राइमरी के बच्चों के लिए रामायण के पात्रों के रूप में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की जाए।

12. इन दिनों अभिवादन के लिए जय श्री राम, जयराम जी की व राम राम आदि पावन शब्दों का प्रयोग किया जाए।

13. सभी लोग अपनी वाट्सएप डीपी पर श्रीराम का चित्र लगाएँ।

14. इस अवधि में विद्यालयों में ड्रेस कोड हेतु पीले रंग को प्राथमिकता दी जाए।

15. समस्त विद्यालयों द्वारा मानव श्रृंखला का निर्माण किया जाए।

16. विद्यालयों में यज्ञ/ हवन का आयोजन किया जाए।

17. समस्त विद्यालय परिवार के द्वारा (छात्र, शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी) रामनामी का प्रतिदिन एक पृष्ठ लेखन किया जाए।

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  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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