*तीसरी मोदी सरकार के बारे में आपके मन में चल रही उलझनों को शांत करने वाली गणना:*
1. NDA के पास 292 सीटें हैं, जिनमें से BJP की 240, TDP की 16 और नीतीश की 12 सीटें हैं।
2. सरकार बनाने के लिए 272 सीटें चाहिए।
3. अगर कभी TDP अलग हो जाती है, तो 292-16 = 276, मतलब सरकार बच जाएगी।
4. अगर कभी नीतीश अलग हो जाते हैं, तो 292-12 = 280, मतलब सरकार बच जाएगी।
5. अगर TDP और नीतीश दोनों अलग हो जाते हैं, तो कुल 28 सीटें कम हो जाएंगी। 292-28 = 264, मतलब सरकार बचाने के लिए 8 सीटें कम होंगी। भविष्य में इन 8 सीटों की व्यवस्था, निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों को मिलाकर, पहले से ही कर ली गई है।
6. TDP और नीतीश का INDI गठबंधन में जाना फायदेमंद नहीं है।
*कारण-1*
दोनों को अपने-अपने राज्यों में सरकार चलानी है, इसलिए केंद्र की हमेशा जरूरत पड़ेगी। नीतीश के पास तो बिहार में सरकार चलाने के लिए BJP के अलावा कोई विकल्प नहीं है, इसलिए वह फंसे हुए हैं।
*कारण-2*
अगर नीतीश और TDP INDI में जाते भी हैं, तो INDI की 234 सीटों के साथ TDP और नीतीश की 28 सीटें मिलाकर भी 234+28 = 262 होती हैं, मतलब सरकार बनाने के लिए 10 सीटें कम होंगी, जो वे कहां से लाएंगे?
*अंतिम कारण-3*
INDI गठबंधन बकरी की पूंछ जैसा है, कभी शांत नहीं रहेगा। और अगर रहेगा भी, तो बड़ी मुश्किल से।
7. निर्दलीय, उद्धव, पवार और अन्य एक-एक सीट वाली पार्टियां, और INDI की अन्य छोटी-मोटी पार्टियों के संभावित असंतुष्ट सांसदों को मिलाकर यह आंकड़ा 10 से 50 तक हो सकता है। इस टूट-फूट को संभालने के लिए BJP की राष्ट्रीय मशीनरी लगातार 5 साल काम करती रहेगी।
8. और चार राज्यों में नई NDA सरकारें बनने से BJP/NDA राज्यसभा में और मजबूत हो जाएगी। मतलब तीसरी बार भी मोदी सरकार बेखौफ होकर काम करेगी, और सरकार के टूटने का कोई खतरा नहीं रहेगा।
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