
बहराइच। 12 जनवरी, आज सेनानी भवन सभागार में महामानव स्वामी विवेकानंद का जन्म दिवस मनाया गया। सेनानी उत्तराधिकारियों ने देश के करोड़ों युवकों के प्रेरणाश्रोत स्वामी विवेकानंद के संघर्ष, सद्गुणों और उनके देश व्यापी ख्याति की चर्चा की । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संगठन संरक्षक एवं पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। वह एक महान दार्शनिक और आध्यात्मिक पुरुष थे । उनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था । स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की । उनका असली नाम नरेंद्र दत्त था । वे वेदांत के जाने माने विद्वान थे । उन्होंने 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में भारत और सनातन संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के कार्यवाहक प्रदेश महासचिव रमेश मिश्र ने कहा कि स्वामी जी ने हिंदुत्व और आध्यात्म का परचम पूरी दुनिया में लहराया। वह कहते थे कि युवा किसी देश की ताकत होते है । उनका जन्मदिन 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। उन्होंने वेदांत सोसायटी की नींव रखी। उनका आदर्श वाक्य था “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए” । उन्होंने कहा कि सच्चा धर्म वह है जो विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरे। उन्होंने कहा कि मनुष्य का आदर्श हर चीज में ईश्वर को देखना है । 4 जुलाई 1902 को उनकी मृत्यु उनके मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं के फटने से हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाज सेवी दिनेश कुमार कश्यप ने कहा कि विश्व में भारतीय दर्शन विशेष कर वेदांत और योग को प्रसारित करने में विवेकानंद की महत्वपूर्ण भूमिका है । उन्होंने कहा कि सत्य से बड़ा तो ईश्वर भी नहीं होता है । अपनी मृत्यु की घोषणा उन्होंने पहले ही कर रखी थी । वे 39 वर्ष पर ही गो लोक वासी हुए । उन्होंने कहा कि एक सफल व्यक्ति बनने की कोशिश मत करो बल्कि मूल्यों पर चलने वाले व्यक्ति बनो। अंत में सभी सेनानी उत्तराधिकारियो ने देश की सनातन संस्कृति को दुनिया भर में फैलाने और उसे पुष्पित व पल्लवित करने के लिए उनके जीवन दर्शन को धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम में अराफात आलम, अवनिंद्र पांडे, जौहर आलम, पवन सिंह, रमेश गौतम सहित तमाम देश भक्त मौजूद रहे।मनोज त्रिपाठी 8081466787. बहराइच ।

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