राजीव गांधी बार एसोसिएशन ने जिलाधिकारी, नगर आयुक्त नगर निगम एवं महापौर को भेजा नोटिस

अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमाशंकर शर्मा एडवोकेट ने जिलाधिकारी नगर आयुक्त नगर निगम एवं महापौर हेमलता दिवाकर को एक-एक नोटिस भेजा है। नोटिस की एक प्रति सूचनार्थ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजी गई है।

नोटिस में अधिवक्ता ने कहा है कि आजादी के बाद 1947 के बाद हर वर्ष 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस एवं 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस को एक परंपरागत जुलूस फुलट्टी चौराहे से प्रारंभ होकर किनारे बाजार, रावत पाड़ा, काला महल, बेलनगंज, कचहरी घाट होते हुए पुरानी चुंगी, मोतीगंज, आगरा के मैदान में जाता रहा है। और वहां पर गणतंत्र दिवस हो चाहे स्वतंत्रता दिवस हो सभाएं आयोजित होती रही है।

जिसकी सारी व्यवस्था नगर निगम एवं आगरा प्रशासन करता रहा है। इस परंपरागत जुलूस के लिए नगर निगम एवं प्रशासन की ओर से भारत माता की एक झांकी बैंड तथा पुरानी चुंगी के मैदान में मंच माइक कुर्सियां फर्श और एवं पानी की व्यवस्था की जाती रही है, लेकिन पिछले कुछ बरसों से प्रशासन इस ओर अपनी आंखें बंद कर की बैठा है। इस वर्ष 15 अगस्त से आगरा प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं। और उसने ना तो झांकी और बैंड की व्यवस्था की और ना ही पुरानी चुंगी मैदान पर मंच, माइक, फर्श, कुर्सी और पानी की व्यवस्था की। कांग्रेस ने परंपरागत जुलूस को निकाल कर पुरानी चुंगी के मैदान में जमीन और सीढ़ियों पर बैठकर गणतंत्र दिवस की जिंदाबाद और जय जयकार की।


वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपने नोटिस में मुख्यमंत्री सहित उक्त तीनों जिम्मेदार पदाधिकारियों एवं महापौर को मोतीगंज, पुरानी चुंगी मैदान के ऐतिहासिक महत्व के बारे में कहा है कि यह मैदान स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है। सन 1940 में आगरा के क्रांतिकारियों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को खून से पत्र लिखकर इसी मैदान में बुलाया था। नेताजी ने इसी मैदान में सभा की थी जिसमें भारी संख्या में क्रांतिकारियों ने भाग लिया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इसी मैदान में “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा देकर सशस्त्र क्रांति का बिगुल फूंका था।

इसके बाद 10 अगस्त 1942 को इसी मैदान में महात्मा गांधी के “करो या मरो” नारे की शपथ ली थी और तब इसी मैदान की सभा में अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों पर सभा के दौरान गोली चलवाई थी, जिसमें 17 वर्ष के एक महान देशभक्त क्रांतिकारी श्री परशुराम शहीद हुए थे। अधिवक्ता ने कहा है कि विगत करीब 35 वर्षों से वह स्वयं भी अपने साथियों के साथ इस परंपरागत जुलूस में भाग लेकर पुरानी चुंगी के मैदान में जाकर गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता मनाते आ रहे हैं, लेकिन इस वर्ष तो गणतंत्र लोकतंत्र और संविधान आगरा प्रशासन की वजह से बुरी तरह शर्मसार हो गया। ऐसा लगा जैसे आगरा के प्रशासन को तथा महापौर को स्वतंत्रता आंदोलन में हुए शहीदों एवं गणतंत्र दिवस लोकतंत्र और संविधान से कोई सरोकार नहीं है। इस वर्ष आगरा प्रशासन एवं नगर निगम द्वारा भारत माता की झांकी, बैंड, मंच, माइक, कुर्सियां, फर्श व पानी की व्यवस्था नहीं कर बहुत ही अक्षम्य अपराध किया है।

नोटिस में चेतावनी दी गई है, कि अगर इस नोटिस प्राप्ति के 24 घंटे के अंदर अगर तीनों जिम्मेदार अधिकारियों एवं महापौर ने आगरा की जनता से क्षमा नहीं मांगी तो अधिवक्ता इन तीनों के विरुद्ध कानूनी कारवाई करने को बाध्य होंगे।

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gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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