
अर्जुन रौतेला संवादाता। माधुर्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा संस्था के कार्यालय पर योग एवं संगीत दिवस के उपलक्ष्य में योग एवं संगीत के महत्व को स्मरण करते हुए एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें प्रबुद्ध एवं नामी विद्वानों का सम्मान किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रोफेसर उमापति दीक्षित ने जब शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया तो समस्त वातावरण शिवमय हो उठा। उन्होंने अपने गरिमामई, बहुआयामी व्यक्तित्व तथा वक्तव्य से सभी को नवीन ऊर्जा प्रदान की। अध्यक्ष के पद को सुशोभित करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ जयसिंह नीरद ने अपना बहुप्रचलित गीत “सबसे पर ढोता जीवन शव एक बटोही चलता जाए” सुनाया तो उपस्थित श्रोताओं की आंखे नम हो उठीं। डॉ राघवेंद्र शर्मा की ग़ज़ल “कोई अपना बना कर क्या करते” ने खूब तालियां बटोरीं। महेश शर्मा गोपाली ने माधव को मित्रवत रूप में मानते हुए सुंदर रचना प्रस्तुत की।
डॉ राजीव शर्मा निस्पृह ने ब्रज भाषा के लालित्यमय स्वरूप को प्रस्तुत किया डॉ शशि गुप्ता ने शिव की महिमा का सांगीतिक बखान किया। डॉ गुंजन ने प्रदूषित वातावरण में योग और संगीत के महत्व पर प्रकाश डाला। सुधा वर्मा ने विछोह के दर्द को एक कविता के माध्यम से बयान किया। संस्थाध्यक्ष ने कुशल संचालन के साथ साथ “अखंड तू निनाद कर प्रचंड शंखनाद कर के माध्यम से” शक्ति का आह्वान किया। डॉ सुषमा सिंह ने प्रकृति के महत्व पर काव्य पाठ किया।
इस सारगर्भित काव्य गोष्ठी में बढ़ते रोगों के शमन हेतु योग और संगीत को जीवन में शामिल करने पर विशेष ज़ोर दिया गया। राजेंद्र गुप्ता एवं राजकुमार जैन ने व्यवस्थाएं संभाली। संस्था संरक्षक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार व लेखक आदर्श नंदन गुप्त ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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