आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला। मानसी गंगा हर गंगे गोवर्धन की जय बोलो संग राधे राधे के जयघाेष लगाते हुए श्री राधारानी के सेवक चल रहे थे, और परिक्रमा मार्ग में मिलने वाले हर निराश्रित को मेवे के दूध एवं साध्वी सेवा में आवश्यक सामग्री और भाेजन का वितरण कर रहे थे। भक्ति का प्रथम और महत्वपूर्ण चरण परसेवा है, इस बात का अनुसरण करते हुए आगरा की संस्था श्री राधारानी सेवा मंडल द्वारा गोवर्धन में सामूहिक परिक्रमा संग 14 वां श्री महा छप्पन भाेग, भजन संध्या एवं फूल बंगला का आयोजन किया गया।
श्री राधारानी सेवा मंडल के संस्थापक गोविंद्र शरण गर्ग ने बताया संस्था द्वारा विगत 14 वर्षाें से गोवर्धन में रहने वालीं साध्वियों, साधुओं और निराश्रित लोगों की सेवा की जा रही है। परसेवा के साथ प्रभु चरणाें में महाछप्पन भाेग, फूल बंगला एवं भजन संध्या का आयोजन भी किया जाता है। वहीं 15 वर्षाें से लगातार भंडारे की सेवा भी संस्था कर रही है।
संतोष मित्तल और अविनाश राणा ने बताया कि बुधवार को आगरा से छह बस सहित दर्जनों चौपहिया वाहनों से करीब 600 श्रद्धालु गोवर्धन पहुंचे और मानसी गंगा जल से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा पूर्ण की। परिक्रमा मार्ग में मेवायुक्त दूध का वितरण भी किया गया। साथ ही परिक्रमा के मध्य साध्वी सेवा करते हुए सैंकड़ों साध्वियों के लिए भाेजन, गर्म कपड़ों, दैनिक आवश्यकता के सामना का वितरण किया गया।
दानघाटी, गोवर्धन के सामने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर झूमर के फूलबंगले में श्रीनाथ जी के दिव्य दर्शन श्री महाछप्पन भाेग के मध्य आयोजित किये गए। भक्तों ने भक्तिमय भजनों का आनंद लेते हुए 5100 किलो महाछप्पन भाेग के मध्य पधारे ठाकुर जी के अलौकिक दर्शन लाभ किये। वृंदावन के कलाकारों द्वारा फूलों की होली, मयूर नृत्य एवं खाटू श्याम जी की झांकी प्रस्तुत की गयी। 14 दिसंबर, 2023, दिन गुरुवार को संस्था द्वारा 15 वां महा भंडारा मंदिर परिसर में सुबह 11 बजे से किया जाएगा।
इस अवसर पर संस्थापक गोविंद शरण गर्ग, संतोष मित्तल, अविनाश राणा, राहुल चौधरी, अनूप वार्ष्णेय, विवेक वार्ष्णेय, अशोक अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, विष्णु स्वरूप, हरीओम गर्ग, सियाराम पवन कुमार, अनिल अग्रवाल, दीपक ढल एल, लवी अग्रवाल, प्रमोद दीक्षित, रोहित त्यागी, प्रमोद सक्सेना, संजय सिंह, राहुल गर्ग आदि ने व्यवस्थाएं संभालीं।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।