आज दिनाँक 11 दिसम्बर 2023 को कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के सूर कक्ष में भाषा, प्रौद्योगिकी, संगीत एवं नृत्य को समर्पित भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया, इस उत्सव की थीम थी – ‘अनेक भाषाएँ एक एहसास’
भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन प्रसिद्ध तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी महाकवि चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। महाकवि चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती, जिन्हें आमतौर पर सुब्रमण्यम भारती के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे उनका जन्म 11 दिसंबर 1882 को तमिलनाडु के एटटायपुरम में हुआ था और 11 सितंबर 1921 को उनका निधन हो गया। भारती जी को तमिल साहित्य में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक माना जाता है और उन्हें अक्सर ‘महाकवि’ कहा जाता है।
भारतीय भाषा उत्सव में सर्वप्रथम संस्थान के निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर सूजन वर्गीज पी. का नवपादप भेंट करके स्वागत और सम्मान किया। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि विकास पंडित का सम्मान डॉ. पल्लवी आर्य ने तथा प्रो. प्रदीप श्रीधर का सम्मान डॉ आदित्य एवं अंगद ने किया।
सेंट जोन्स कॉलेज आगरा के भारतीय भाषा केंद्र के मराठी शिक्षक और विशिष्ट अतिथि मि.विकास पंडित ने अपने वक्तव्य में कहा कि ” क्षेत्रीय भाषा संवाद का माध्यम है। क्षेत्रीय भाषा किसी भी क्षेत्र की रीढ़ होती है।सारी सांस्कृतिक विरासत उसी से जुड़ी होती है। हर एक मातृभाषा की बोली और भाषा ही उस क्षेत्र को बांधे रखती है। हमारे देश की विविधता और बहुआयामी संस्कृति को आप विविध क्षेत्रीय भाषाएँ सीख कर ही संरक्षित रख सकते हैं।”
साथ ही उन्होंने बताया कि अकेले उत्तर प्रदेश में ही 29 तरह की हिंदी बोली जाती है।
मुख्य अतिथि प्रो. सूजन वर्गीज़ पी. ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि ” क्षेत्रीय भाषा ही आपकी पहचान है । भारत में 60% भारतीय हिंदी बोलते हैं, किंतु मातृभाषा का अपना अलग ही महत्व होता है, क्योंकि बच्चा जब बोलना सीखना है, तो शैली अपनी माँ की भाषा से ही ग्रहण करता है और वास्तव में यही उसकी पहचान होती है।फिर चाहे जिस भाषा में अनुवाद करके बोले क्षेत्रीयता की छाप दिखाई देती है। यही कारण है कि क्षेत्रीय भाषाओं का अनुवाद भी लगातार हो रहा है। ” भारतीय भाषा केंद्र की संचालिका होने के नाते उन्होंने बताया,’कि सेंट जॉन्स कॉलेज में 2004 से ये केंद्र संचालित किया जा रहा है और इसमें 13 क्षेत्रीय भाषाओं का अध्यापन कार्य किया जा रहा है।
सेंट जोन्स कॉलेज आगरा के भारतीय भाषा केंद्र के अन्य शिक्षकों में गुजराती भाषा की प्रो.मनीषा अंतानी,तमिल के प्रो. एन.नारायणन,मलयालम की ग्रेस जोसेफ, कश्मीरी भाषा के डॉ. एम.के. शर्मा भी उपस्थित रहे।
डॉ.पल्लवी आर्य तथा डॉ आदित्य ने मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि का परिचय भी दिया।
भाषा उत्सव में बहुभाषी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए,जिनमें भारतीय भाषा केंद्र की मनीषा अग्रवाल ने मराठी गीत पर नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी, शिवानी सक्सेना ने मराठी और पंजाबी गीत प्रस्तुत किया। के. एम. आई. की दिव्यांशी और मधु ने नृत्य के माध्यम से बृज की लोक संस्कृति की झांकी प्रस्तुत की।वहीं गरिमा ने ‘फेरो ना नजर से नजरिया’ गीत पर शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया, रोशनी ने हरियाणवी गीत पर नृत्य किया, तो गरिमा और सेजल ने गुजराती नृत्य प्रस्तुत करके शमा बांध दिया।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि ” वास्तव में उत्सव ही हुआ है। भारतवर्ष अनेकता में एकता का प्रतीक है। बहुविधि भाषाएँ और संस्कृतियाँ होने के बाद भी हम सब भारतीय हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जिसने हमें बांध रखा है, वह हमारी भारतीयता है। एकसूत्रता और अपनी शक्ति को पहचानने के लिए भारतीय भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है। ” साथ ही उन्होंने भारतीय भाषा उत्सव के सुंदर आयोजन के लिए सभी शिक्षक एवं विद्यार्थियों को बधाई दी।
कार्यक्रम को और अधिक जीवंतता देने के लिए विभिन्न प्रांतो के, विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट व्यंजनों की व्यवस्था भी की गई थी।
कार्यक्रम में, संस्थान के विद्यार्थियों के अतिरिक्त, सभी विभागों के शिक्षक डॉ. रमा, डॉ. प्रदीप वर्मा , मोहिनी दयाल, अंगद,कंचन आदि उपस्थित रहे।
संचालन डॉ. केशव शर्मा ने किया।
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