ये हैं कुंवारों के देवता, एक दिन पहले निकलती है बारात

उधर निकली बारात..इधर दुल्हन जलकर हो गई राख, ऐसी है कुंवारों के देवता की प्रेम कहानी, जानें मान्यता

25 मार्च को पूरे देश में होली का महापर्व मनाया जाएगा. होली से एक दिन पहले होलिका को जलाया जाता है. लेकिन राजस्थान के जालौर में होली से पूर्व

उधर निकली बारात..इधर दुल्हन जलकर हो गई राख, ऐसी है कुंवारों के देवता की प्रेम कहानी, जानें मान्यता

उधर निकली बारात..इधर दुल्हन जलकर हो गई राख, ऐसी है कुंवारों के देवता की प्रेम कहानी, जानें मान्यता

25 मार्च को पूरे देश में होली का महापर्व मनाया जाएगा. होली से एक दिन पहले होलिका को जलाया जाता है. लेकिन राजस्थान के जालौर में होली से पूर्व संध्या पर एक शाही कुंवारे देवता की बारात निकाली जाती है.

 

होली का पर्व रंगो का पर्व है और जब बात राजस्थान की हो, तो यहां पर कई ऐसी परम्पराएं है जो सदियों से निभाई जा रही है. ऐसे में होली की पूर्व संध्या पर जालौर में लोक देवता इलोजी की शाही बारात परंपरागत रूप से निकाली जाती है, जिसमें शहरवासी बाराती बनते हैं. यह शाही बारात शहर के मुख्य बाजार से होते हुए भक्त प्रह्लाद चौक पहुंचती है, लेकिन बारात पहुंचने से पहले ही वहां होलिका दहन कर दिया जाता है, जिसके चलते फेरे नहीं हो पाते. यह परंपरा जालौर में पिछले कई सालों से चली आ रही है ।

शहरवासी बनते हैं बाराती

यह अनोखी बारात जालौर शहर में निकाली जाती है, जहां बारात को लेकर आनंद भैरू मित्र मंडल व व्यापार मंडल सहित प्रशासन के लोग भी इस बारात में शामिल होते हैं. होली के दिन यह शाही बारात बड़े धूम-धाम से निकाली जाती है. यह बारात शहर के मानक चौक से निकलती है, जहां इलोजी या आनंद भैरू के रूप में एक युवक को दूल्हा बनाया जाता है. दूल्हे को सजाकर ,घोड़ी पर बिठाकर ,साफा बांधकर तैयार किया जाता है. ‌इस शाही बारात में शहरवासी भी सज-धज कर साफा बांधकर बारात में शामिल होते हैं. ढ़ोल, डीजे पर नाचते हुए यह बारात शहर के मुख्य चौराहा से होते हुए चौक पहुंचती है.

इलोजी और होलिका की प्रेम कहानी से जुड़ी है परंपरा

दरअसल इलोजी राजस्थान के लोकदेवता हैं, जो हिरण्यकश्यप की बहन होलीका से प्यार करते थे. एक ओर शादी की तैयारी चल रही थी, वहीं दूसरी और हिरण्यकश्यप अपने बेटे विष्णु भक्त प्रह्लाद को मारने की साजिश रच रहा था. उसकी सारी कोशिश नाकाम हो रही थी. आखिर में उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली और भाई के कहने पर होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को जलाने के लिए उन्हें लेकर आग में बैठ गई. वरदान होने के बाद भी उसकी आग में जलने से मौत हो गई.

इधर इलोजी बारात लेकर होलिका से शादी करने निकलते हैं, मगर रास्ते में ही उन्हें होलिका के मौत की खबर मिलती है. अपने प्यार को खोने के गम में डूबे इलोजी उसका जला हुआ शरीर देखकर खूब रोते हैं और होलिका की राख को अपने शरीर पर लगाकर वह ताउम्र शादी नहीं करते हैं. इसलिए उनकी याद में एक दिन पहले इलोजी देवता की बारात निकाली जाती है.

कहलाते है कुंवारों के देवता

दरअसल होलिका की मृत्यु के बाद इलोजी देवता आजीवन कुंवारे रहे. मान्यता के अनुसार कुंवारे लड़कों द्वारा इनकी पूजा अर्चना करने और परिक्रमा देने से जल्द ही शादी होती है. इसलिए इन्हें कुंवारो का देवता भी कहा जाता है. इसके महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी इलोजी देवता की पूजा करती है.

 

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gc goyal rajan
  • Editor In Chief TN NEWS 24

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