।। कोसी कलां ।।
श्री राम ने कुंभकर्ण का किया वध , धू धू कर जला कुंभकर्ण का पुतला।
रामलीला संस्थान महोत्सव कोसी कलां के अंतर्गत आज ब्राह्मण धर्मशाला से कुंभकरण वध हेतु श्री राम लक्ष्मण हनुमान , बानर सेना, सहित आदि झांकियां नगर भ्रमण करते हुए नवीन अनाज मंडी कोसी कलां पहुंची। आज की सवारी के मुख्य अतिथि कोसी कलां नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र कुमार गुर्जर एवं राजेश अग्रवाल घी वालों के परिवारी जनों द्वारा आरती उतार कर शुभारंभ किया गया ।
सवारी सब्जी मंडी ,मुख्य बाजार, तालाब शाही ,भगवती मंदिर होते हुए नवीन अनाज मंडी कोसी कलां पर पहुंची । जहां पर लीला स्थल के मुख्य अतिथि नरेश अग्रवाल बासैंया के द्वारा श्री राम लक्ष्मण और हनुमान जी की आरती उतारकर लीला मंचन का शुभारंभ किया। लीला निर्देशक जी ने जानकारी देते हुए बताया कि कुम्भकर्ण ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र तथा लंका के राजा रावण का छोटा भाई था। कुम्भ अर्थात घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण इसका नाम कुम्भकर्ण रखा गया था। बचपन से ही इसके अंदर बहुत बल था। जब इनके पिता ने तीनों भाइयों को तपस्या करने के लिए कहा और भगवान ब्रह्मा जी ने इन्हें दर्शन दिए तो देवताओं ने माता सरस्वती से प्रार्थना की जब कुम्भकर्ण वरदान माँगे तो वे उसकी जिव्हा पर बैठ जाएँ।
परिणाम स्वरूप जब कुम्भकर्ण इंद्रासन माँगने लगा तो उसके मुख से इंद्रासन की जगह निंद्रासन (सोते रहने का वरदान )निकला जिसे ब्रह्मा जी ने पूरा कर दिया परंतु बाद में जब कुम्भकर्ण को इसका पश्चाताप हुआ तो ब्रह्मा जी ने इसकी अवधि घटा कर एक दिन कर दी। जिसके कारण यह छः महीने तक सोता रहता फिर एक दिन के लिए उठता और फिर छः महीने के लिए सो जाता,परंतु ब्रह्मा जी ने इसे सचेत किया कि यदि कोई इसे बलपूर्वक उठाएगा तो वह दिन कुम्भकर्ण का अंतिम दिन होगा।
रावण कुंभकर्ण को निद्रा से जगवाते हैं। कुंभकर्ण रावण से समय से पहले जगाने का कारण पूछता है तो रावण सारा वृतांत बताता हैं जिसमे कुंभकर्ण अपने भाई रावण को समझाते हुए कहते हैं कि वह पराई नारी को सम्मान के साथ श्रीराम को लौटा दें, अन्यथा पूरे राक्षस कुल का अंत हो जाएगा। इस पर रावण कुंभकर्ण पर क्रोधित हो जाता है। इसके बाद कुंभकर्ण युद्ध करने के लिए रणभूमि में जाता है। इसके बाद श्रीराम स्वयं रणभूमि में कुंभकर्ण से युद्ध करने के लिए पहुंच जाते हैं। दोनों में चले भयंकर युद्ध के बाद श्रीराम अपने बाणों से कुंभकर्ण का वध कर देते हैं। कुंभकर्ण का वध होते ही श्रीराम के खेमे में खुशी की लहर दौड़ जाती है।
वहीं दूसरी तरफ रावण व लंका में दुख की लहर दौड़ पड़ती है। कुंभकर्ण वध के साथ ही नवीन अनाज मंडी कोसी कलां में कुंभकर्ण का पुतला धू-धू कर जल उठा । जिसे देखकर मैदान में चारों ओर श्रीराम के जयकारें गूंज उठते हैं । वहीं लीला निर्देशक ने बताया कि रात्रि को 12 बजे से काली मंदिर रामनगर कोसी कलां से काली मां अपने रौद्र रूप में नगर भ्रमण करते हुए भरत मिलाप चौक पर पहुंचेगी जहां पर अहिरावण वध का लीला मंचन होगा।
आज के इस लीला मंचन में राम लीला संस्थान के अध्यक्ष कमल किशोर वार्ष्णेय, संयोजक सुभाष बासैया, उपाध्यक्ष मुकेश जैन, मंत्री अरुण शर्मा, कोषाध्यक्ष सौरव जैन, अंकित गुप्ता, नवल किशोर, गिर्राज चौधरी, रजनीश खंडेलवाल, राजकुमार सैनी, मोना पंडित, सुरेंद्र चौधरी, उपकार गुप्ता ,अमित बठेनिया, राकेश कुलदीप, महेश ,पवन अग्रवाल ,अनुराग तायल, हरिओम भार्गव, राहुल, पदम दीपक ,दिव्यांशु गुप्ता, सक्षम, युग भारद्वाज, दुर्गेश ,वैभव ,प्रियांशु सिंगल, समाजसेवी राजू रुहेला, राहुल जैन कामियां, प्रमोद बठेनियां ,आशीष, अजय गोयनका, निक्की जैन, नेमचंद गर्ग ,हरिओम गुप्ता, तरुण सेठ हुकम चंद अग्रवाल, धर्मवीर पत्रकार, कौशल एडवोकेट, संजीव जाविया, देशबंधु अग्रवाल, राहुल एडवोकेट ,वेद गोयल ,देवेश सिंगारी, विजय अगरारे वाले, अशोक खंडेलवाल, के के अग्रवाल, भगवत प्रसाद, श्याम बिहारी अग्रवाल आदि नगर के लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
रिपोर्टर – विष्णु कुमार।
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