अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। वैश्विक बंधुत्व को समर्पित अमृता विद्या-एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी एंड डिफेंस थीम्ड- बाईसी ब्रिगेड रेस्टोरेंट के संयुक्त तत्वावधान में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 2025 के अवसर पर सांय सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुआ।
” वसुधैव कुटुम्बकम” -के तहस श्री सुधीर नारायण का देशभक्ति और मानवता के लिए समर्पित सरस प्रस्तुतियां दी। यह बहुत ही सुखद है था और आगरा वासियों के लिये संभवत: पहला अवसर था कि जब कि संस्कृत वाक्यांश ‘वासुदेव कुटुंबकम’ जो कि वेद व्यास के महा उपनिषद से लिया गया है. की प्रस्तुति व्यास जी की जन्मस्थली नगला मच्छेदरी के निकट किसी स्थापित ग्रुप ‘सुधीर नारायन एवं ग्रुप के द्वारा की गई।
उल्लेखनीय है कि ” वसुधैव कुटुम्बकम” जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है, यह वाक्यांश भारतीय वैचारिक संस्कृति का हिस्सा है और भाईचारे की भावना को दर्शाता है। वसुधैव कुटुम्बकम’ ऋषि वेदव्यास द्वारा रचित महा उपनिषद से उर्द्धरित इसे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी द्वारा दुनिया के लिए लोकप्रिय या जाना जाता है और इसे जारी रखने का प्रयास रहेगा। अतिथि में पूर्व सैनिक व्यक्ति, नागरिक आदि शामिल थे।
प्रख्यात गायक एवं गजलकार सुधीर नारायन उनके ग्रुप के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत – आगरा के कवि सुशील सरित द्वारा रचित वसुधैव कुटुम्बकम रचना से की –
सारी धरा हमारा घर है
सारा जग परिवार
युग युग से हम सदा बांटते
रहे सभी को प्यार
यही कामना आँख किसी की
रहे कभी ना नम
वसुधैव कुटुंबकम वसुधैव कुटुम्बकम
राष्ट्रभक्ति के गीतों सहित आखिर में “ऐ मेरे वतन के लोगो आँखों में भर लो पानी” और अनेक रंगारंग प्रस्तुतियां के माध्यम से बडी संख्या में मौजूद श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया गया।
ग्रुप कैप्टन, डॉ कुंवर जे पी एस चौहान ने मेजबान के रूप में मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि बाई सी ब्रिगेड रेस्तरां का आदर्श वाक्य “कमाना और सेवा करना” है। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से जुडा प्रतिष्ठान शुरू करने के साथ ही सामाजिक सरोकारों से संबंधित दायित्वों में भी सहभागी बनने का प्रयास किया है। इनमें अपने निकट और प्रियजनों के जाने के बाद वृद्धा आश्रम के संवासियों के जन्मदिन मनाने मनाना, सरकारी स्कूलों के दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के टॉपर्स और मेधावी विद्यार्थियों को उनके माता-पिता और स्कूल प्रिंसिपल के साथ आमंत्रित करना आदि शामिल हैं। श्री चौहान ने कहा कि उनका प्रयास है कि आयोजनों के माध्यम से युवाओं को देश के रक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित हो सकें।
–अमृता विद्या- एजुकेशन फार इम्मोर्टालिटी सोसायटी,
‘अमृता विद्या- अमरता के लिए शिक्षा’ के लक्ष्य को समर्पित संस्था के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा के अनुसार पिछले साल ‘अमृता विद्या ‘ का फोकस ‘नजीर’ पर था। 2025 का यह पहला कार्यक्रम है कोशिश है कि बाईसी ब्रिगेड रेस्तरां के साथ अनवरत सहयोग बढे । कारण शहर के इस हिस्से में कोई जगह नहीं है जहां सांस्कृतिक गतिविधियां हो सकती हों। इस क्षेत्र में बड़ी आबादी रहती है। इसके लिए आयोजकों को समारोह आयोजित करने और उनमें स्थानीय कलाकारों को मौका देने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि यूपी टूरिज्म से अनुरोध करेंगे कि सैन्य क्षेत्र की उत्कृष्ट मेजवानी की संस्कृति को समर्पित ‘बाईसी ब्रिगेड रैस्टोरेंट’ को आगरा के टूरिस्ट मैप में शामिल किया जाए।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करने वालों में सर्वश्री विजय पाल सिंह चौहान,एवं अमृता विद्या- एजुकेशन फार इम्मोर्टालिटी सोसायटी, आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा आदि भी शामिल थे।
मेजर जनरल जॉयदीप भाटी सेना मेडल, 1965 और 1975 युद्ध के योद्धा और राजस्थान के रेगिस्तान में हरित क्रांति के जनक कर्नल जहीर सिंह राठौड़, विजय पाल सिंह चौहान एडवोकेट, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुंदन किशोर, रक्षा संपदा अधिकारी दीपक मोहन, कर्नल सुमित लवानिया, कमांडर एके जिलानी, पंडित योगेश शर्मा, योग गुरु देवेन्द्र सिंह धाकरे, हरेंद्र पाल सिंह चौहान, आशा चौहान, सुनंदा चौहान, कांति नेगी , संदीप देवरानी आदि उपस्थित रहे।
बाईसी- की जानकारी
–पृथ्वीराज चौहान के पराक्रम से प्रेरित
.बाईसी आगरा जनपद में बाईस गांवों के समूह के नाम से विशिष्ट पहचान वाला ‘बिलेज सर्किट’ है।इन गांवों में चौहानों बहुलता रही। ऐतिहासिक बृतांतों के अनुसार पृथ्वीराज चौहान के काल में रहे राजनैतिक घटनाक्रमों के कारण जिन चौहानों को नीमराना छोडना पडा उनमें से बडी संख्या में आगरा के बाईस गांवों में आकर बस गये,कालांतर चौहान बहुलता के इन गांवों को बाईसी के नाम से विशिष्ट पहचान मिली जो अब तक बनी हुई है।
–नीमराना
नीमराना चौहानों की समृद्ध संस्कृति संपन्न एक रियासत थी,देश की आजादी के बाद इसका भारत में विलय हुआ,कालांतर राजपरिवार के द्वारा किले को नीमराना होटल्स नामक हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया। यह हेरिटेज होटल अपनी विशिष्ठ मेजवानी और श्रेष्ठ शिष्टाचार परंपराओं के लिये विख्यात है।
बाईसी क्षेत्र
एत्मादपुर तहसील के अंतर्गत चौहान ठाकुरों की बहुलता वाले 22 बड़े गांव हैं,जिन्हें स्थानीय लोक चर्चाओं में बाईसी कहा जाता है,वैसे चौहानों के प्रभाव वाले 100 से ज्यादा छोटे मझरे भी हैं, इनमें से कुछ मथुरा की सादाबाद सादाबाद तहसील की राजस्व सीमा में आते हैं।
–कुलदेवी, मां आशापुरा मंदिर
ठाकुर बहुल बाईसी क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण आस्था स्थल मां आशापुरा मंदिर का मंदिर है,यह एत्मादपुर तहसील के आशापुरा गाँव में स्थित है। अनेक ठाकुर परिवारों के द्वारा आशापुरी मंदिर को अपनी कुलदेवी मां के रूप में पूजा जाता है। मुख्यमंत्री योगी ने कुलदेवी मंदिर के सुंदरीकरण के लिए 45 लाख की राशि तीन साल पूर्व अपने आगरा दौरे के दौरान उपलब्ध करवाये जाने की घोषणा की थी।
और सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट का शिलान्यास भी किया था।कार्ययोजना के अनुसार इस धन से मुख्य मंदिर, प्रांगण, और अन्य सांस्कृतिक विशेषताएं समावेशित की जानी हैं ।
–पाली में स्थित है चौहानों का आस्था स्थल
आशापुरा माता का यह प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित पाली जिले के तहत अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसे प्राचीन शहर नाडोल में विराजमान माता के मंदिर से प्रेरित है। मंदिर का निर्माण चाहाटान/चौहान राजवंश के शासन काल में) के दौरान हुआ। चौहान राजाओं के द्वारा माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।