अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। केन्द्र सरकार द्वारा जारी आम बजट पर लगातार पक्ष एवं विपक्ष की त्वरित टिप्पणियां हमको प्राप्त हो रही हैं, जिसमें से शिक्षाविद् , राजनीतिज्ञ, संगठन, आम आदमी अन्य शामिल हैं।
देखिए किसने क्या कहा आम बजट को लेकर –
बजट से किसानों, नौजवानों, गरीबों, व्यापारियों सभी को निराशा हुई ; लक्ष्मी धनगर
केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट बेहद निराशाजनक है, इसमें देश की जनता के लिए कोई विजन नहीं है। बजट में महंगाई, बेरोजगारी कम करने की कोई योजना नहीं है। किसानों की आय बढ़ाने और फसलों की एमएसपी का कानूनी अधिकार देने की कोई बात नहीं है। खाने-पीने के समानों की बढ़ती महंगाई को कम करने को लेकर कुछ नहीं कहा गया। दोषपूर्ण जीएसटी को लेकर बजट में सरकार मौन है। इस बजट से किसानों, नौजवानों, गरीबों, व्यापारियों सभी को निराशा हुई है।
इस केद्रीय बजट में किसानों, बेरोजगारों, बीमारों पर ध्यान नहीं दिया गया : पंडित सिद्धार्थ चतुर्वेदी
बजट में किसानों के लिए एवं कृषि क्षेत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई, किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई नई बड़ी योजना नहीं घोषित की गई। स्वास्थ्य क्षेत्र पर कम ध्यान और स्वास्थ्य बजट में अपेक्षाकृत कम वृद्धि की गई। ग्रामीण और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए विशेष योजनाओं की कमी।रोजगार सृजन पर ठोस योजना नहीं और सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की संख्या बढ़ाने पर कोई विशेष जोर नहीं दिया गया, ना जाने कितने स्टार्टअप शुरू होने के बाद जल्द ही बंद हो जाते है, MSME सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता थी।
ये बजट राजकोषीय घाटा और बढ़ती उधारी बढ़ाने वाला है, सरकार ने वित्तीय घाटे को 4.4% तक लाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए उधारी बढ़ाकर 14.82 ट्रिलियन रुपये कर दी गई, जो दीर्घकालिक स्थिरता के लिए चिंता का विषय है, मोजूदा बजट में रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर की अनदेखी कि गई और किफायती आवास (Affordable Housing) योजना के लिए कोई नई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं की गई। आम जानता को होम लोन पर कर छूट बढ़ाने की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हुई।
इस बजट में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की बढ़ोतरी पर भी चिंता गहरी हुई है
बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव किया गया, जिससे घरेलू कंपनियों पर विदेशी नियंत्रण बढ़ने की आशंका है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया।
कुल मिलाकर इस बजट में आम जनता, किसानों और रोजगार क्षेत्र की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया।
यह आम आदमी का बजट है सभी का ध्यान रखा गया है : प्रो. डॉ. रेखा कक्कड़
यह आम आदमी का बजट है इसमें किसान, मजदूर, युवा, महिला, व्यापारी, उद्योग ,सभी के लिए सुविधाएं दी गई है सबसे अच्छी बात यह है कि मध्यम वर्ग के लिए ₹12 लाख तक की आय को कर मुक्त कर दिया है और वेतन भोगी और पेंशन भोगियों को 75 हजार की अतिरिक्त छूट मिलेगी इस बजट से भारत का सर्वांगीण विकास होगा।
लोक कल्याणकारी न होकर किसी बनिए का बजट है : राम नरेश दीक्षित
यह बजट किसी लोक कल्याणकारी सरकार का बजट नहीं बल्कि किसी चतुर बनिया का बजट है ,जिसमें सिर्फ गरीबों – आम आदमी , युवाओं, किसानों का खून निकलने की तैयारी है, बेरहम मोदी सरकार ने बजट में किसानों को धोखा दिया, MSP के नाम पर बात तक नहीं, बजट को 10 में 00 नंबर जनता ने दिए हैं।
केंद्र सरकार के बजट से किसान, मजदूरों में निराशा : लालता प्रसाद गंगवार (समाजसेवी) जिला अध्यक्ष (भारतीय किसान यूनियन सुनील)
आज केंद्र सरकार द्वारा बजट पास किया गया, भारत के किसानों को कुछ नहीं मिला बजट से उद्योगपतियों को फायदा, किसान-मजदूरों कुछ नहीं मिला, बजट पूरी तरह निराशजनक, इससे न तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी और न ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। बजट में किसान सम्मान निधि नहीं बढ़ाई गई, व एमएसपी को कानूनी गारंटी नही दी गई है।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।