
अनिवार्य हेलमेट पहन
अनिवार्य हेलमेट पहनने के आदेश पर तर्क सहित प्रस्तुति
हेलमेट पहनने के नुकसान
हेलमेट के कारण गर्दन और सिर की मूवमेंट कम हो जाती है, जिससे साइड से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते और दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।
बार-बार हेलमेट पहनने और उसे न धोने से सांस, दमा, खांसी और त्वचा संबंधी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
हेलमेट को संभालना बहुत मुश्किल होता है, जिसके कारण हाथ में अन्य सामान नहीं उठाया जा सकता, जिससे व्यक्ति असहाय महसूस करता है।
हेलमेट पहनने के बावजूद दुर्घटना में जान बचेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
बाजार में नकली और घटिया गुणवत्ता वाले ISI मार्क वाले डुप्लिकेट हेलमेट उपलब्ध हैं, जिससे हेलमेट पहनने या न पहनने में कोई विशेष अंतर नहीं रहता।
हेलमेट पहनने से दुर्घटना कम होती है या जान बचती है, इस पर कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, तो फिर हेलमेट पहनने का इतना जोर क्यों?
गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर हजारों रुपए का जुर्माना लगाया जाता है और उन्हें सड़कों पर रोककर या CCTV कैमरों के जरिए चालान काटा जाता है, जिससे महंगाई के दौर में उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो जाती है।
कार में सफर करने वाले लोगों को यह पता नहीं होता कि हेलमेट पहनने की परेशानी क्या होती है! यह उतना ही कष्टदायक है, जैसे कोई बच्चा गोद में उठाना पड़े।
✅ हम हेलमेट पहनेंगे, लेकिन निम्नलिखित शर्तों के साथ.. ✅
सड़क से अतिक्रमण हटाया जाए।
गड्ढामुक्त सड़कें उपलब्ध कराई जाएं।
पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बनाए जाएं।
हर चौराहे पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं।
वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराया जाए।
सड़क किनारे ठेले-गुमटियों से मुक्त रास्ते दिए जाएं।
हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित साइकिल ट्रैक बनाए जाएं।
ST और AMTS बसें समय पर और उचित स्थिति में चलाई जाएं, ताकि लोग इन्हें आसानी से उपयोग कर सकें।
हेलमेट रखने के लिए हर सार्वजनिक स्थान पर निःशुल्क लॉकर की सुविधा दी जाए और वाहन पार्किंग स्थल पर हेलमेट चोरी होने पर सरकार की ओर से मुफ्त हेलमेट प्रदान किया जाए। साथ ही, हेलमेट चोरी रोकने के लिए आधुनिक सुरक्षा प्रणाली विकसित की जाए।
हर चौराहे पर उच्च गुणवत्ता वाले CCTV कैमरे लगाए जाएं और उनका नियमित रखरखाव किया जाए ताकि ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले और अपराधी आसानी से पकड़े जा सकें।
बच्चों को ट्रैफिक सेंस सिखाने के लिए बाल उद्यान और सरदार बाग को पुनर्जीवित किया जाए।
ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सख्त और प्रभावी बनाया जाए ताकि केवल योग्य वाहन चालक को ही लाइसेंस मिले। 25 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए विशेष सावधानी बरती जाए और लाइसेंस जारी करने के बाद समय-समय पर फिजिकल टेस्ट लिया जाए। बहुत वृद्ध, अशक्त और बीमार लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस देने से बचा जाए।
जहां फ्लाईओवर बनाए गए हैं, वहां नीचे के चौराहों को पूरी तरह बंद किया जाए। यदि नीचे का ट्रैफिक जारी रखना था तो करोड़ों रुपये खर्च करके फ्लाईओवर बनाने की क्या जरूरत थी?
शहरी क्षेत्रों में हेलमेट पहनने से छूट दी जाए। शहरों में ट्रैफिक के कारण तेज गति से वाहन चलाना संभव नहीं है, और छोटी दूरी के लिए बार-बार हेलमेट पहनना, उतारना और संभालना परेशानी भरा है। इसके अलावा, इससे बेवजह चालान कटता है और पुलिस द्वारा उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
इसके बाद आप हमें हेलमेट पहनने की सलाह दे
टी यन न्यूज 24 आवाज जुर्मके खिलाफ सूरत से संवाददाता राजेंद्र तिवारी कि खास रिपोर्ट स्थानीय प्रेस नोट और विज्ञापन के लिए संपर्क करें 9879855419





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