अर्जुन रौतेला, बांदा ( लखनऊ )। उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज पर लगातार हमले हो रहे हैं। एक के बाद एक हत्या, हमले और पुलिसिया अत्याचार अब किसी इत्तेफाक़ का हिस्सा नहीं बल्कि एक सुनियोजित अभियान बन चुके हैं। कुर्मी समाज के लोगों को उनके घरों में घुसकर मारा जा रहा है, झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है और जब सामाजिक संगठन न्याय की आवाज़ उठाने पहुँचते हैं तो पुलिस खुद दीवार बनकर रास्ता रोक देती है।
शालिनी सिंह पटेल का कहना है कि यह वही प्रदेश है जहाँ हर चुनाव से पहले “कुर्मी समाज हमारे साथ है” के नारे गूंजते हैं, और चुनाव जीतने के बाद वही नेता सत्ता की कुर्सी पर बैठकर समाज की चीखों पर चुप्पी साध लेते हैं। जो नेता कुर्मी समाज के वोटों से MLA, MP, मंत्री बने आज वही सत्ता की मलाई चाट रहे हैं।उनकी जुबान पर ताले हैं क्योंकि कुर्सी प्यारी है, समाज नहीं।

शालिनी सिंह पटेल ने कहा कि यह मौन अब अपराध की हद पार कर चुका है।प्रशासनिक तंत्र सत्ता के इशारे पर काम कर रहा है और कुर्मी समाज की आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है।सवाल यह है कि जब एक-एक कर कुर्मी युवक मारे जा रहे हैं, तो उनके अपने नेता कहाँ हैं? क्या सिर्फ जाति के नाम पर वोट लेना और सत्ता में चुप रहना ही राजनीति है?
शालिनी सिंह पटेल कहती हैं कि कुर्मी समाज अब सब समझ चुका है—कौन उसके साथ खड़ा है और कौन सत्ता के आगे बिका हुआ है। सत्ता के संरक्षण में जब समाज की हड्डियाँ तोड़ी जा रही हैं, तो चुप रहना भी गुनाह है।जो नेता कुर्सी पर बैठकर समाज की लाशों के ऊपर आराम कर रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए—इतिहास माफ़ नहीं करेगा।
शालिनी सिंह पटेल का कहना है कि अब समाज खामोश नहीं रहेगा।अब सवाल कुर्सी से नहीं, ज़मीर से पूछा जाएगा—कितनी मौतों के बाद तुम बोलोगे? कितनी माताओं की चीखें सुनकर तुम्हारी नींद टूटेगी? अगर सत्ता तुम्हें इंसानियत भूलने पर मजबूर कर दे, तो वह सत्ता नहीं, शाप है, और इस शाप का जवाब कुर्मी समाज आने वाले वक्त में ज़रूर देगा।
अन्य खबरों हेतु संपर्क करें संवादाता अर्जुन रौतेला 8868868461
Updated Video




Subscribe to my channel





