बिना माता-पिता के कैसी होती है जिन्दगीं, जब तक हैं माँ-बाप करो इनकी बन्दगी।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा अनाथ बच्चों को जरूरी सामान वितरण करने के संदर्भ में
आगरा (अर्जुन रौतेला)। दिनांक 01-11- 2022 को डॉली’ज पब्लिक इंटर कॉलेज द्वारा छात्र-छात्राओं को हर बार की तरह फिर से एक नया मोरल थॉट का मतलब समझाने के लिए एजुकेशनल ट्रिप को अरेंज किया। “शेयरिंग इज केयरिंग” का मतलब बच्चों को आज सही ढंग से समझ आया। विद्यालय द्वारा सभी छात्र छात्राओं को मदर टैरेसा ऑर्फनेज, प्रताप पुरा चौराहे पर ले जाया गया। सभी छात्रों को आज सही ढंग से माता-पिता की कीमत समझ आई। छात्र-छात्राओं की आंखों में आंसू रुक ही नहीं रहे थे, तथा वहां का नजारा देख सभी छात्रों ने अपनी गलती की भगवान से माफी मांगी। जिस प्रकार से वह अपने माता-पिता से दूरव्यवहार करते हैं। अपने माता-पिता से बेफिजूल की जो जिद्द करते हैं। इसके साथ ही सभी बच्चों ने ईश्वर से धन्यवाद ज्ञापन किया कि ईश्वर ने उन्हें माता-पिता दिए और माता-पिता से मिलने वाला हर सुख का ज्ञान उन्हें आज सही ढंग से समझ आया विद्यालय प्रबंधक वीरेंद्र कुमार मित्तल व मनीष कुमार मित्तल का अनाथ बच्चों की जिंदगी में अहम भूमिका रही है, इस प्रकार प्रबंधक द्वारा श्री नेमीरा मेमोरियल सोसायटी बनाई, जिसमें अनाथ छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।
आज सभी बच्चों को कपड़े , जूते, चप्पल, आटा, चावल, दाल, बिस्कुट, चॉकलेट, टॉफी, चिप्स, नमकीन आदि चीजों का भरपूर वितरण किया।
विद्यालय प्रबंध रीना जालान व डॉ. स्वाति चंद्रा द्वारा सभी छात्र – छात्राओं को माता-पिता के हमारे जीवन में अहम भूमिका के बारे में बताया व हमारा जीवन माता-पिता से ही मूल्यवान व रोशन है। मिगफ्रे कोऑर्डिनेटर नुपुर सिंघल ने बताया कि बच्चों को वह पढ़ाई के साथ-साथ उनके उत्तम मानसिक विकास के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन समय-समय पर करवाती है व छात्र – छात्राओं के माता-पिता की भी प्रशंसा की, वह भी पूर्ण रूप से विद्यालय के साथ चलते है, इसके लिए उनका धन्यवाद भी ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन दिशा गर्ग द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में उत्कर्षा , आकांक्षा, हेमलता, कशिश, दीपिका, मनी, पूनम, रंजना , भावना , रानी, सूची, धर्मेंद्र कुमार सक्सेना, राहुल यादव, अखिलेश कुमार, हुकुम सिंह , दुष्यंत ठाकुर आदि की अहम भूमिका रही।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।