रामलीला महोत्सव: दसरथ पुत्रजन्म सुनि काना, मानहु ब्रह्मानंद समाना

संवादाता अर्जुन रौतेला, आगरा। राजा दशरथ पुत्र का जन्म कानों से सुनकर मानो ब्रह्मानंद में समा गए। मन में अतिशय प्रेम है, शरीर पुलकित हो गया। राम जन्म का यह प्रसंग मंचन देख क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी पुलकित हो उठे। सभी के नेत्र सजल थे और हृदय गदगद कि पहली बार उनके गांव की धरती पर श्रीराम जी की लीला का मंचन हो रहा है।

अयोध्या नगरी बना गढ़ी ईश्वरा, ग्राम दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय दिव्य प्रकाश से प्रकाशित हो रहा था। यहां आयोजित बाबा मनः कामेश्वरनाथ रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को राम जन्म, विश्वामित्र आगमन लीला का मंचन हुआ।
लीला प्रसंग मंचन में रावण, कुंभकर्ण और विभीषण तीनों भाइयों ने घोर तपस्या की। इस पर प्रसन्न होकर ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने दर्शन दिए। तीनों भाइयों ने इच्छानुसार वर मांगा। इसके पूर्व प्रभु ने कुंभकर्ण की मंशा समझकर मां सरस्वती को कुंभकर्ण की मति घुमाने को कहा। इसके बाद कुंभकर्ण ने इंद्रासन की जगह निद्रासन मांग लिया। रावण के अत्याचारों से पीडि़त पृथ्वी जब देवताओं की शरण में पहुंचती है तो उसकी पीड़ा सुनकर देवतागण व्यथित हो जाते हैं। इसके बाद सारे देवता एकत्रित होकर और धरती माता गाय का रूप रखकर भगवान विष्णु के पास जाते है। यहाँ देवताओं का करुण विलाप होता है। रोंगटे खड़े कर देने और आंखों में आंसू छलका देने वाले देवताओं के संवादों ने दृश्य को जीवंत कर दिया। भगवान विष्णु आश्वासन देते है कि रावण का अत्याचार खत्म करने के लिए वे स्वयं मानव रूप में धरती पर जन्म लेंगे।


दूसरी तरफ राजा मनु अपनी पत्नी सतरूपा के साथ जंगल में घोर तपस्या की। इस पर भगवान विष्णु प्रकट हुए और त्रेता युग में मनु और सतरूपा के घर जन्म लेने का वर दिया। जोकि आगे जाकर राजा दशरथ और कौशल्या के रूप में धरती पर आते हैं ।
मंचन के दौरान अयोध्या के राजा दशरथ सन्तान नहीं होने से दुःखी और व्याकुल थे। गुरु वशिष्ठ द्वारा श्रृंगी ऋषि को बुलाकर दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी। इस पर राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्नि देव ने एक हव्य दिया। जिससे राजा दशरथ के घर राम, लक्ष्मण, भरत ओर शत्रुघ्न का जन्म हुआ। राम जन्म से पूर्व कलाकारों की ओर से भगवान चतुर्भुज अवतार की सुंदर झांकी का मंचन भी किया गया। जिसमें कौशल्या को भगवान विष्णु ने स्वप्नरूपी दर्शन देकर जन्म लेने के लिए कहा।
अयोध्या में राजा दशरथ के यहां भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जन्म लेते हैं। अयोध्यावासी खुशियां मनाते हैं। जैसे जैसे चारों बालक बड़े होते हैं उनकी बाल लीलाएं देखकर अयोध्या के निवासी प्रफुल्लित होते हैं। इसके बाद ऋषि विश्वामित्र का राम और लक्ष्मण को अपने साथ धार्मिक अनुष्ठानों की रक्षा के लिए ले जाना के साथ द्वितीय दिवस लीला प्रसंग पूर्ण होता है। रामलीला में प्रस्तुति देख भक्त भाव विभोर हो गए।

बच्चों और युवाओं उत्साह तो बुजुर्ग हो रहे भाव विभाेर
श्रीमनःकामेश्वर मंदिर मठ प्रशासक हरिहर पुरी और महंत श्री योगेश पुरी ने बताया कि गांव में पहली बार श्रीराम लीला का मंचन हो रहा है। भव्य आयोजन के चलते गांव की हर सड़क और घर रोशन हैं। प्रतिदिन समय से पूर्व ही युवा व्यवस्थाएं संभालने पहुंच जाते हैं तो वहीं बच्चाें में भी विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। गांव के बुजुर्ग और महिलाएं एक चित्त होकर लीला मंचन का आनंद लेते हुए भाव विभाेर होते हैं। गांव में श्रीराम की लीलाओं का मंचन देखने के लिए शहर से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

मप्र के वेदपाठी ब्राह्मण कर रहे लगातर पाठ
प्रतिदिन लीला मंचन से पूर्व गौशाला में मठ प्रशासक हरिहर पुरी द्वारा यज्ञ श्री रूद्राभिषेक व शतचंडी महायज्ञ में पंचांग पीठ पूजन, वास्तु मण्डल, क्षेत्रपाल, नवग्रह, चतुश्ष्टि योगनी, सर्वतो भद्र मण्डल, एकलिगंतो भद्र, रूद्र, वरूण कलश के साथ, चारों वेद कलश, इंद्र हनुमत् ध्वजा पूजन किया गया। पूजा कार्य एवं श्री दुर्गा सप्तशति का पाठ प्रतिदिन महर्षि महेश योगी जी, वैदिक विश्व विद्यापीठ, ब्रह्म स्थान करौंधी, कटनी, मध्य प्रदेश से पधारे आचार्य अजय तिवारी, आचार्य श्री राम फल आदि द्वारा किया जा रहा है।

फोटो, कैप्शन− गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्री मनः कामेश्वर बाल विद्यालय में आयोजित बाबा मनःकामेश्वर नाथ राम लीला महोत्सव में भगवान लक्ष्मी नारायण की आरती उतारते श्री महंत योगेश पुरी।

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gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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