*गुजरात की उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुनिता अग्रवाल ने याचिकाकर्ता धर्मेंद्र प्रजापति की लाउडस्पीकर पर अज़ान दिए जाने पर प्रतिबंध लगाने की जनहित याचिका पर जो सवाल किए वह इस देश में दोगलेपन को प्रमाणित करने की सड़न को उभारने के लिए काफी है।*
*अस्पताल में काम करने वाले दलित धर्मेंद्र प्रजापति की याचिका में लाउडस्पीकर से अज़ान दिये जाने को मरीजों के लिए बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य को खतरा बताया था।*
*मुख्य न्यायाधीश सुनिता अग्रवाल ने इस पर कहा कि “आपका डीजे बहुत प्रदूषण फैलाता है। हम इस तरह की जनहित याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं। यह एक विश्वास और अभ्यास है जो वर्षों से चल रहा है और यह केवल पांच मिनट का क्षण है। अज़ान 10 मिनट से भी कम समय तक चलती है।*
*इसके बाद मुख्य न्यायाधीश सुनिता अग्रवाल ने जो कहा वह गुजरात से आता आश्चर्यजनक सच है*
*मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि*
*”क्या आरती से भी इसी तरह अशांति पैदा नहीं होती है।आपके मंदिरों में, सुबह की आरती उन ढोल और संगीत के साथ होती है जो सुबह-सुबह शुरू होती है। इससे किसी को कोई शोर या परेशानी नहीं होती ? क्या आप कह सकते
Prem Chauhan
Editor in ChiefUpdated Video
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