मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के चरित्र से बनेंगे विश्व गुरु : डॉ. सुशील गुप्ता

आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु गुणवत्ता शिक्षण में रत प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल में समय-समय पर विशेष कार्यक्रमों तथा पर्वों का आयोजन अत्यंत उल्लासपूर्वक किया जाता रहा है।

आगामी पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत् 2080, सोमवार के शुभ दिन प्रभु श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह की श्रीराम जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसी पुनीत बेला पर प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल द्वारा श्रीराम से अपनी अनन्यता को प्रकट करने हेतु विद्यालय परिसर में “सियाराम मंगलम् ” आयोजन 20 जनवरी, 2024 शनिवार को किया गया।

कक्षा 12 के छात्र अनिरुद्ध सिंह ने श्री राम के चरित्र के महत्व को बताते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस पावन अवसर पर श्री राम यज्ञ, पूजन एवं आरती, रामनाम संकीर्तन एवं भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, गायन एवं रामायण पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी किया गया।
विद्यालय को दीपों और रंगोली से सजाया गया।


विद्यालय के निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता व निदेशिका सुनीता गुप्ता ने सभी को संबोधित करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र को अपने जीवन में उतारने को प्रेरित किया, तथा कहा कि जिस तरह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने बाल्यावस्था से माता- पिता, गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए राजपाट त्यागकर एक वनवासी बनकर पशु, पक्षी अर्थात् प्रकृति की सभी वस्तुओं से प्रेम करते हुए मानवता के नये आयाम स्थापित किये, ठीक उसी तरह हम सभी यदि ऐसा करेंगे तो निश्चित ही हमारा भारत देश पुन: विश्वगुरु बन जायेगा। उन्होंने भगवान श्री राम जन्मभूमि में प्राण-प्रतिष्ठा के आयोजन के लिए शुभकामनाएंँ व बधाई दी।

विद्यालय के प्राचार्य अरविंद श्रीवास्तव ने रामचरितमानस समझाते हुए जीवन कौशल की शिक्षा दी। अध्यापिका बबीता रानी ने रामायण से संबंधित जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य अरविंद श्रीवास्तव, प्रमुख समन्वयक संजय शर्मा, समस्त अध्यापक, छात्रगण एवं अभिभावक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन नरेश कुमार एवं अरसला नदीम द्वारा किया गया।

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gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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