*हरियाणा में सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ खेला : 3 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से वापस लिया समर्थन, कांग्रेस खेमे में पहुंचे, सरकार अल्पमत में आई*
रोहतक : लोकसभा चुनावों के बीच हरियाणा की राजनीति में आज बड़ा उलटफेर देखने को मिला। यहां तीन निर्दलीय विधायकों ने आज कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया। ये सभी विधायक पहले बीजेपी के साथ थे।
तीनों विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की।
तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा से अलग हो जाने के बाद, भाजपा की सरकार अल्पमत में पहुंच गई है। पहले भी 48 विधायको के समर्थन वाली सरकार से मनोहर लाल और रणजीत चौटाला ने इस्तीफा दे दिया था, जिससे भाजपा के पास 46 विधायकों का समर्थन शेष था।
बता दें कि हरियाणा में कांग्रेस के 30, जननायक जनता पार्टी के 10, और भाजपा के 40 विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों की संख्या 6 हो गई है, क्योंकि रणजीत चौटाला ने इस्तीफा दे दिया है। एक इंडियन नेशनल लोक दल के विधायक अभय चौटाला भी हैं। नायब सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय की लिस्ट में नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर, दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान और पुंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन के नाम शामिल हैं।
*निर्दलीय विधायकों ने क्या कहा?*
कांग्रेस को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों का कहना है कि बीजेपी सरकार की नीति जन विरोधी रही है। इसके कारण उन्होंने कांग्रेस को बाहरी समर्थन देने का फैसला किया। वह अब कांग्रेस का पूर्ण रूप से समर्थन देने का काम करेंगे। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने कहा कि बीजेपी सरकार जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही थी, लेकिन आज बीजेपी की प्रदेश सरकार अल्पमत में है। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए। उन्हें अब सरकार में रहने का कोई अधिकार नहीं है। पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि तीन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। यह जन समर्थन में फैसला लिया गया है। कांग्रेस लगातार प्रदेश में मजबूत हो रही है।
उधर BJP ने दावा किया है कि उसके पास 47 विधायकों की ताकत है. रिपोर्ट के मुताबिक BJP का कहना है कि जननायक जनता पार्टी (JJP) के चार विधायक ‘जरूरत पड़ने पर सरकार को मदद’ की पेशकश कर सकते हैं, जिससे उनकी ताकत 47 हो जाएगी।
बीजेपी के दावे के बाद के बाद हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष उदय भान ने कहा :
“BJP सरकार को पहले JJP विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन JJP ने समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय विधायक भी अपना समर्थन वापस ले रहे हैं. नायब सिंह सैनी सरकार अब अल्पमत सरकार है. सैनी को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उन्हें एक मिनट भी (CM पद पर) रहने का अधिकार नहीं है. अब विधानसभा चुनाव तुरंत होने चाहिए।”
उदय भान ने X पर लिखा,”तीन निर्दलीय विधायकों ने दिया कांग्रेस को समर्थन
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने से पहले ही हरियाणा में रुझान आने शुरू हो गए हैं। हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है। हम चरखी दादरी से विधायक श्री सोमवीर सांगवान जी, पूंडरी से विधायक श्री रणधीर गोलन जी एवं नीलोखेड़ी से विधायक श्री धर्मपाल गोंदर जी के इस कदम का हम स्वागत करते हैं। जन विरोधी मोदी और खट्टर सरकार को जल्द हरियाणा की जनता सबक सिखाने वाली है।”
विदित हो कि हरियाणा में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 40 सीटें जीती थीं। सरकार बनाने के लिए 46 सीटें चाहिए थीं। ऐसे में BJP ने JJP के 10 विधायकों के साथ प्रदेश में सरकार बना ली थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को बनाया गया था।
करीब साढ़े 4 साल बाद इस साल मार्च में BJP और JJP का गठबंधन टूट गया। बताया गया कि इसकी वजह हरियाणा में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर हुआ विवाद था। इसके बाद कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया और उन्होंने 12 मार्च, 2024 को हरियाणा के CM पद की शपथ ली।
*मुख्यमंत्री श्री सैनी जी को जाने*
इसी साल मार्च के महीने में मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफ़े के बाद कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी।
नब्बे के दशक में अंबाला से ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले सैनी को पिछले साल ही पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
उनकी शुरुआत अंबाला में बीजेपी के ज़िला युवा मोर्चा से हुई।सैनी ने इस संगठन में महासचिव और ज़िला अध्यक्ष जैसे पदों की कमान संभाली।
इसके बाद पार्टी ने उन्हें हरियाणा किसान मोर्चा के महासचिव पद की ज़िम्मेदारी भी दी। साल 2009 में पहली बार उन्होंने नारायणगढ़ विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी की। लेकिन इस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी राम किशन का सामना करते हुए हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद साल 2012 में पार्टी ने उन्हें अंबाला में ज़िला अध्यक्ष बनाया. साल 2014 में नायब सिंह सैनी ने एक बार फिर नारायणगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह को मात दी। बीजेपी ने भी इसी चुनाव में पहली बार हरियाणा में चुनाव जीतकर इतिहास रचा था।
*वर्तमान परिस्थितियाँ:*
सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जबकि विधानसभा में कुल 88 सदस्य हैं।
बीजेपी 40 विधायकों के साथ है, जबकि कांग्रेस के पास 30 और जननायक जनता पार्टी के 10 हैं।
निर्दलीय विधायकों की संख्या 6 हो चुकी है।
*मुख्यमंत्री का चयन:*
अगर नायब सैनी चुनाव जीतते हैं, तो उनका समर्थन 44 विधायकों तक पहुंच जाएगा, लेकिन बहुमत 45 से बढ़ना चाहिए। इस समय सरकार अल्पमत में है।
हालाकि अगले कुछ महीनों तक यहां अविश्वास प्रस्ताव नही लाया जा सकता है क्योंकि यह पिछले चार माह पहले लाया गया था और अब छह माह पुरे होने पर ही लाया जा सकता है।
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