अर्जुन रौतेला (संवादाता आगरा)। उत्तर प्रदेश की राजनीति में आगरा जनपद दलितों की राजधानी के नाम से विख्यात है और यहां कभी बसपा की तूती बोलती थी, लेकिन वर्तमान स्थिति से आप सभी वाकिफ हैं, आखिर बहुजन समाज पार्टी का दायरा कितना क्यों सिमटता जा रहा है?
कभी बसपा के कद्दावर नेता रहे अथवा बसपा से राजनीति की शुरुआत करने वाले एवं बहुजन समाज की बात करने वाले स्थानीय नेताओं ने बसपा को छोड़ दिया है, इसके पीछे का मुख्य कारण बहुजन समाज पार्टी द्वारा दलितों एवं पिछड़ों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध कोई आवाज न उठाना तथा जिस जमीनी संघर्ष के लिए बहुजन समाज पार्टी को पहचाना जाता था, उसका दायरा सिमटकर केवल ट्वीट-ट्वीट तक सीमित हो जाना है।
विगत वर्षों में बसपा के जिला अध्यक्ष रहे रविन्द्र पारस (वाल्मीकि) एवं पूर्व जिला उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार शास्त्री ने भी बहुजन समाज पार्टी को छोड़ दिया है।
इसके पीछे का मूल कारण बताते हुए पूर्व जिला उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार शास्त्री ने बताया कि जिस सिद्धांतों को लेकर मान्यवर कांशीराम जी ने पार्टी का गठन किया था, उन पर वर्तमान में बसपा पार्टी कार्य न करके अन्य दलों की हां में हां मिलाने में अपने आपको सुरक्षित रखना चाहती है, जो कि संभव नहीं है।
बताते चलें कि प्रवीण कुमार शास्त्री को एक समय बसपा की आगरा मंडल के भविष्य के नेताओं के रूप में माना जाता था। उच्च शिक्षित, विनम्र स्वभाव तथा प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रवीन शास्त्री की अपने समाज में ही नहीं सर्व समाज में अच्छी पैठ है।
पूर्व जिला अध्यक्ष रविंद्र पारस द्वारा तुरंत आजाद समाज पार्टी ज्वाइन करने पर प्रवीण कुमार शास्त्री ने कहा कि अभी वह अपने शुभचिंतकों, समर्थकों से चर्चा करने के बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।