
अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। समय से पहले बच्चे का जन्म हुआ हो (प्री-टर्म बर्थ), जन्म के वक्त कम वजन हो (लो बर्थ वेट) या हाइपोग्लेसिमिया से बचाव हेतु चिकित्सक मां के स्पर्श को औषधि के रूप में उपयोग करते हैं। इसे कंगारू मदर केयर कहा जाता है। लेकिन जब मां ही कठिन परिस्थिति में हो तो पिता भी केएमसी दे सकते हैं। जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लॉयल) स्थित केएमसी यूनिट में वर्ष 2024 में अब तक 896 से ज्यादा बच्चों को केएमसी के जरिए स्वस्थ किया गया है। इनमें से 25 बच्चों को उनके पिता, ताऊ, चाचा इत्यादि ने केएमसी दिया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि कंगारू मदर केयर एक नर्सिंग तकनीक है, विशेष रूप से समय से पहले जन्मे शिशुओं सहित विभिन्न परिस्थितियों में नवजात की जान बचाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। जिला महिला चिकित्सालय में अलग से केएमसी यूनिट बनाई गई है, जहां पर नवजात को केएमसी दी जाती है और इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस प्रक्रिया में नवजात को उसकी मां के साथ सीधे त्वचा से त्वचा संपर्क में रखा जाता है, जिससे शारीरिक और भावनात्मक समर्थन मिलता है। यह तकनीक शिशु के स्वास्थ्य और विकास को बढ़ाने में मदद करती है। जब मां कठिन परिस्थिति में होती हैं तो पिता भी इसे दे सकते हैं।
पिता की भागीदारी के लाभ
शिशु के साथ मजबूत बंधन बनाने में मदद, माता को आराम और समर्थन प्रदान करना, शिशु की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना, परिवार में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना, पिता की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संतुष्टि।
परिवार के अन्य सदस्य: परिवार के अन्य सदस्य जैसे कि चाची, चाचा, भाई, बहन आदि भी कंगारू मदर केयर दे सकते हैं।

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