रेस्क्यू डायरी: वाइल्डलाइफ एसओएस ने वर्ष 2024 में लगभग 1,500 जानवरों को बचाया!

अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। वाइल्डलाइफ एसओएस ने वर्ष 2024 में आगरा और पड़ोसी शहरों में लगभग 1,500 जंगली जानवरों को सफलतापूर्वक बचाया। यह भारत के वन्यजीवों की सुरक्षा में संस्था की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है, विशेष रूप से शहरीकरण, घटते वनक्षेत्र और मानव अतिक्रमण से बढ़ते खतरों के बीच।

शहरीकरण की तीव्र गति और सिकुड़ते वन क्षेत्र जंगली जानवरों को आश्रय की तलाश में अपने प्राकृतिक आवास छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं, जो अक्सर उन्हें शहरी क्षेत्रों में ले आते हैं। इसके अलावा, मौसम की मार – तीव्र गर्मी, ठंड और भारी बारिश इस स्थिति को और बढ़ा देती है। परिणामस्वरूप, वाइल्डलाइफ एसओएस की हेल्पलाइनों पर सरीसृपों, पक्षियों और खतरे में पड़े स्तनधारियों जंगली जानवरों के बारे में कई संकटपूर्ण कॉल आती रहती हैं। संस्था आगरा (+91 9917109666), दिल्ली-एनसीआर (+91-9871963535), वडोदरा (+91-9825011117) और जम्मू और कश्मीर (+91-7006692300, +91-9419778280) में हॉटलाइन चलाती है। उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से, वाइल्डलाइफ एसओएस ने 2024 में आगरा और इसके आसपास के शहरों में कई बचाव अभियान चलाए।

2024 में कुल 717 सरीसृप बचाए गए, जिसमें आगरा से बचाया गया 55 किलोग्राम का एक विशाल और भारी भरकम अजगर भी शामिल था। अन्य उल्लेखनीय सरीसृपों के रेस्क्यू में इटावा से 25 अजगर के बच्चे, आगरा किले से 5 फुट लंबा रैट स्नेक और 9 मगरमच्छ भी शामिल हैं। वर्ष के दौरान 139 कॉमन वुल्फ स्नेक, 156 इंडियन रैट स्नेक, 115 अजगर, 123 कोबरा और 78 मॉनिटर लिज़र्ड जैसे विभिन्न प्रकार के सरीसृपों को भी बचाया गया।

सरीसृपों के अलावा, लगभग 500 स्तनधारिय जानवरों को भी रेस्क्यू किया गया, जिनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या बंदरों की थी। इसमें अप्रैल 2024 में एक तेंदुए का रिलीज़ भी शामिल है, जो लगभग आठ महीने तक वाइल्डलाइफ एसओएस की देखरेख में रहा था। संस्था की रेस्क्यू टीम ने 128 मोर सहित 250 से अधिक पक्षियों को भी बचाया, जो की क्षेत्र में वन्यजीवों की रक्षा के प्रति वाइल्डलाइफ एसओएस की अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण, ने कहा कि, “वर्ष 2024 हमारे लिए चुनौतीपूर्ण लेकिन यादगार रहा है। अप्रत्याशित जलवायु परिस्थितियों और मानवीय गतिविधियों के कारण जंगली जानवरों के लिए बढ़ते खतरों के बावजूद, हम ऐसा करने में सक्षम थे। यह सफलता हमारी समर्पित टीम, स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों और उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ हमारे मजबूत सहयोग के बिना संभव नहीं होती।”

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि, ने कहा कि, “प्रत्येक बचाव जैव विविधता के संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। शहर के फैलाव के कारण जानवर रिहायशी इलाकों में जाने के लिए मजबूर होते है, और यह महत्वपूर्ण है की उन्हें सुरक्षित आश्रय प्रदान करने में हम अपनी भूमिका निभाए।”

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा कि “यह रेस्क्यू ऑपरेशंस हमारी टीम के समर्पण को प्रदर्शित करती हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी अथक परिश्रम करते हैं। हम ना केवल जानवरों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे, बल्कि उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में जागरूकता बढाने के प्रयास भी जारी रखेंगे।”

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gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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