क्या आपने किया है ऐसा प्रेम? नाटक ‘आओ तनिक प्रेम करें’ का हुआ मंचन..

अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। ताजनगरी में शनिवार शाम यूथ हॉस्टल में आयोजित हुए नाटक में मौजूद बैठे हर दर्शक को यह सोचने पर मजूबर कर दिया कि क्या वाकई उसने अपनी पत्नी को उम्र के इस पढ़ाव तक प्यार किया या नहीं ? नाटक ‘आओ तनिक प्रेम करें’ के मंचन के दौरान वहां मौजूद हर व्यक्ति ने यह जरूर सोचा होगा क्योंकि नाटक ही था आओ तनिक प्रेम करें। जिसमें उम्र के साठवें पढ़ाव पर पति को लगा कि उसने तो अब तक अपनी पत्नी को प्यार ही नहीं किया। और यहीं से शुरू होती है दोनों की आत्म यात्रा।

कार्यक्रम का उद्घाटन विशिष्ट अतिथि के रूप में अनेन्द्र सिंह (कार्यक्रम अधिकारी, आकाशवाणी, आगरा, डॉ. प्रियम अंकित (अंग्रेजी प्रोफेसर, आगरा कॉलेज) एवं श्रवण कुमार (जिला युवा अधिकारी) द्वारा मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।

नाटक – ‘आओ तनिक प्रेम करें’ के बारे में – नाटक की लेखिका हैं विभा रानी, और नाटक का निर्देशन मन्नू शर्मा ने किया है। यह नाटक द्विपात्रिय है, पति की भूमिका में तुषार वर्मा और पत्नी की भूमिका में रहीं मन्नू शर्मा ।

नाटक सार – नाटक “आओ तनिक प्रेम करें“ जीवन के जद्दोजहद में फंसे पति पत्नी ओम गुप्ता और सपन की कहानी है। उम्र के साठवें पड़ाव पर ओम को अचानक यह ख्याल आता है कि उसने तो जीवन भर प्रेम किया ही नहीं और यहीं से शुरू होती है दोनों की आत्म यात्रा। प्रेम और अधूरे पन के एहसास को पूरी तरह से दर्शाता है ये नाटक, फिर से शादी के 30 साल बाद अपने प्रेम का ऐलान करना और उसे अनुभव करने की कहानी को दर्शाता है ये नाटक।

पत्नी / पत्नी के संवाद-

तुम क्यूं नहीं समझते की जीवन जीने की तुम क्यों नहीं समझते की जीवन जीने के लिए अभीव्यक्ति की बहुत जरूरत होती है। बिना उसके अनुसार खुद को खोखला महसूस करता है।

सीधा सीधा क्यों नहीं कहते की लगने लगता था की बीवी की परवाह कर रहे हो मियां अपनी बीवी की खैर मकदम करेगा यह तो बड़ी बगैरत वाली बात है ना?

आई वास स्टइल सेम आई स्टिल लव यू केयर यू?

30 साल बाद यह बात काह रहे हो, दिखावे के लिए

अब मैं तुम्हें कैसे यकिन दिलाऊं !

नाटक में प्रकाश परिकल्पना की चंद्रशेखर, संगीत परीकल्पना / संगीत संचालन – पार्थवी पाराशर मंच परीकल्पना – हर्ष कुमार, मंच निर्माण – सचिन गुप्ता, मंच संचालन – नंदिता गर्ग, मंच सामग्री – संगीता शर्मा, नंदिता गर्ग आदि का विशेष सहयोग रहा।

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  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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