
अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। अपने भीख मांगने वाले हाथी अभियान को शुरू करने के कुछ दिन बाद ही वाइल्डलाइफ एसओएस इसे जारी रखते हुए मनु नाम के 58 वर्षीय ‘भीख मांगने वाले’ हाथी का इलाज कर रहा है। मनु उत्तर प्रदेश के एक दूरदराज इलाके में गिरा हुआ पाया गया था, नर हाथी गंभीर रूप से कमजोर, निर्जलीकरण, दर्दनाक सूजन और पुराने सेप्टिक घावों से पीड़ित है। दशकों की पीड़ा के कारण, ठीक न हुए फ्रैक्चर और पूर्ण रूप से नेत्रहीन मनु के लिए जीवित रहना और भी कठिन हो गया था। वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने मनु को बचाया और उच्च गुणवत्ता वाले उपचार और देखभाल प्रदान करने के लिए उसे मथुरा स्थित अपने हाथी अस्पताल में लाने के लिए 700 किमी की यात्रा की।
उत्तर प्रदेश के मऊ के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) से संकटपूर्ण कॉल प्राप्त होने पर, संदेश प्रधान मुख्य वन संरक्षक / मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को सूचित किया गया। स्थिति की तात्कालिकता को समझते हुए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने तुरंत अपनी टीम को वहाँ के लिए रवाना किया। संस्था के पशु चिकित्सकों ने मनु की स्थिति को स्थिर करने के लिए IV तरल पदार्थ, मल्टी-विटामिन और दर्द प्रबंधन दवा दी। उसकी चोटों का आकलन करने के लिए लेजर थेरेपी, आयुर्वेदिक उपचार के साथ गर्म सिंकाई और थर्मल इमेजिंग की गई, जिससे उसके अगले पैर की कलाई के जोड़, कोहनी क्षेत्र और दाहिने पिछले पैर में सूजन का पता चला। लंबे समय तक लेटे रहने के कारण उसके शरीर पर दर्दनाक घाव भी हो गए थे, जिससे उसकी नाजुक स्थिति और भी खराब हो गई थी।
कठिन प्रयास के बाद, मनु एक क्रेन के सहारे खड़े होने में कामयाब रहा, जो उसकी रिकवरी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। उसके आराम और सुरक्षा को सुनिश्चित करने और चोटों को बढ़ने से रोकने के लिए उसके चारों ओर आराम के लिए पुआल के साथ मिट्टी के बिस्तर बनाए गए। यह सब इलाज और आरामदायक तकनीक अपनाने के बाद उसकी भूख और जल के स्तर में सुधार हुआ, और रक्त संचारण में सहायता मिली एवं संक्रमण को रोकने के लिए उसे ताज़ा पानी का स्नान भी कराया गया।
साइट पर ही पर्याप्त उपचार प्रदान करना संभव नहीं था, जिसके लिए राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति मिलने के पश्च्यात, मनु को मथुरा में वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश वन विभाग की तत्काल कार्रवाई मनु को महत्वपूर्ण देखभाल प्राप्त करने को सुनिश्चित करने में सराहनीय रही।
लगभग 20 घंटे की यात्रा के बाद, मनु वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी अस्पताल पंहुचा जहां उसने अपने नए बाड़े में कदम रखा और शांतिपूर्ण आराम का आनंद लिया। अगली सुबह फलों की दावत उसका इंतजार कर रही थी, जो वाइल्डलाइफ एसओएस में विशेषज्ञ देखभाल के तहत उसके उपचार की शुरुआत का प्रतीक है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “मनु की हालत पूरे भारत में हाथियों द्वारा सहन की जाने वाली लापरवाही और पीड़ा के चक्र को समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। 2030 तक ऐसे 300 हाथियों को बचाने के हमारे अभियान के माध्यम से, हमारा लक्ष्य उन्हें वह देखभाल और सम्मान प्रदान करना है जिसके वे हकदार हैं, ताकि उनका शोषण से मुक्त भविष्य सुनिश्चित हो सके।
अधिक जानकारी के लिए या भीख मांगते हाथी की रिपोर्ट करने के लिए, वाइल्डलाइफ एसओएस हेल्पलाइन +91 9971699727 पर संपर्क करें।
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “भारत में भीख मांगने वाले हाथियों की हृदयविदारक दुर्दशा पीड़ा और उपेक्षा का प्रतीक है। मनु को बचाना इस क्रूरता को समाप्त करने और इन सौम्य दिग्गज हाथियों की गरिमा बहाल करने के लिए हस्तक्षेप और व्यापक जन जागरूकता की तत्काल आवश्यकता का एक शक्तिशाली उदाहरण है।
डॉ. इलियाराजा, उप निदेशक – पशु चिकित्सा सेवाएँ, वाइल्डलाइफ एसओएस, ने कहा, “वर्षों की उपेक्षा के कारण मनु को दर्दनाक घाव, जोड़ों में सूजन और दर्दनाक फोड़े हो गए। हमारी टीम ने उसे हाथी अस्पताल में ले जाने से पहले तत्काल पशु चिकित्सा देखभाल – आईवी तरल पदार्थ, दर्द प्रबंधन और लेजर थेरेपी प्रदान की, जहां अब वह जीवन भर की पीड़ा से उबरने के लिए गहन उपचार प्राप्त कर रहा है।
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