राष्ट्र सेविका समिति द्वारा 40 वें नवसंवत्सर मेले का सफल आयोजन

संवाददाता अर्जुन रौतेला। आज दिनांक 29 मार्च 2025 को
राष्ट्र सेविका समिति द्वारा 40 वें भव्य मेले का सफल आयोजन किया गया।
यह मेला भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के संरक्षण हेतु नववर्ष की पूर्व संध्या यानी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से एक दिन पहले अमावस्या के दिन लगाया जाता है। इस बार के मेले में पुण्य श्लोका अहिल्याबाई होलकर जी की 300 वी जयंती को ध्यान में रखते हुए चारित्रिक विषय लोगों के संज्ञान में आए और समाज में कर्तव्यनिष्ठ होने की भावना बढ़े इस बात का भी खास ख्याल रखा गया है।


मेले की अध्यक्षता शहर की महापौर हेमलता दिवाकर ने की, साथ ही मेले में शहर के अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति‌ भी रही। मेयर हेमलता दिवाकर जी ने आगरा की महापौर होने के नाते राष्ट्र सेविका समिति के मंच से सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित की। आपने राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ने के अपने सुखद अनुभव सांझा किए। आपने कहा युवा पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ने की समिति के प्रयास की और इस विषय पर 40 वर्षों के राष्ट्रीय सेवा विकास समिति कार्य कर रही है
राष्ट्र सेविका समिति एक वैचारिक संगठन है जहां पर राष्ट्र सर्वोपरि रखकर कार्य किया जाता है।
इसलिए मेले के मंचीय कार्यक्रम में राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख माननीय डॉक्टर शरद रेणू मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थिति रहीं और अपने मुख्य वक्तव्य में उन्होंने कहा एक स्त्री अपने परिवार अपने समाज को विकास की ओर ले जाती हैं वह उदाहरण देवी अहिल्याबाई ने प्रस्तुत किया है। शिक्षा के केंद्र उन्होंने प्रारंभ किया। बच्चियों को पढाया। महिलाओं को स्वावलंबी बनाया।


आदि शंकराचार्य ने भी इस राष्ट्र की अखंडता के लिए कितना प्रयास किया। सांस्कृतिक दृष्टि से इस राष्ट्र को जोड़ने वाला वह एक ही व्यक्तित्व है और वह है देवी अहिल्याबाई। तीसरा व्यक्तित्व है युवा संन्यासी स्वामी विवेकानंद। राष्ट्र को संस्कृत विचार की और मोडा। देवी अहिल्याबाई इन तीनों के बीच की कड़ी हैं। पूरे देश में 3:30 हजार जिम द्वादशलिंग भी आते हैं ऐसे 3: हजार मंदिरों का निर्माण किया धर्मशाला बनवाई देश को सांस्कृतिक दृष्टि से विकसित करने का कार्य किया। माहिष्मती के नाम से सांस्कृतिक राजधानी होती थी। उन्होंने माहिष्मती को वापस खड़ा किया। अभी संघ की प्रतिनिधि सभा हुई है 3 हजार के कार्यक्रम राष्ट्र सेविका समिति के बहनों द्वारा किए गए हैं। क्योंकि समिति उनको अपने आदर्श के रूप में रखती है।

मेले में विशिष्ट अतिथि के तौर पर जॉइंट कमिश्नर इनकम टैक्स राधा रानी शर्मा एवं आगरा की प्रथम सी‌ए महिला अमीता गर्ग रहीं।
उन्होंने भी सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित की और आगे भी समिति से जुड़े रहने की इच्छा व्यक्त की।
मेले में विभिन्न प्रकार के उत्पादों की 50 दुकानें लगाई गई जिसमें खाने पीने से लेकर कपड़ों, किताबों, इलेक्ट्रॉनिक आइटमों की बिक्री हुई। मेले में स्वास्थ्य विभाग आगरा के सहयोग से निशुल्क नेत्र जांच शिविर भी लगाया गया। सुबह 12:00 बजे से हवन के द्वारा मेले का शुभारंभ हुआ और रात्रि 10:30 बजे तक चला। मेले में बच्चों ने झूलो का आनंद लिया, साथ ही आगंतुकों ने मिलेट से बनने वाले विभिन्न व्यंजनों का भी स्वाद लिया। विशेष रूप से महिलाओं ने खूब खरीददारी की। बड़ी संख्या में शहरवासियों ने परिवार सहित इस आनंद मेले मे अपनी भागीदारी निभाई। मेले का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक संध्या के साथ-साथ मलखंब का प्रदर्शन भी रहा जो बालक और बालिकाओं ने एक साथ किया। सरस्वती शिशु मंदिर सुभाष पार्क के बच्चों ने घोष के साथ अतिथियों का स्वागत किया। मेले में जो विभिन्न प्रतियोगिताएं रखी गई थी उसमें प्रतियोगिताओं के नाम थे चित्रकला, थाल सज्जा, हमारा घर हमारा परिवार, भारत के पर्व, अहिल्याबाई होल्कर ,लेखन, मेहंदी, 50 मीटर दौड़, चम्मच नींबू दौड़, सुई धागा दौड़, कुर्सी दौड़, शंख एवं विविध वेश प्रतियोगिता हुई।

राष्ट्र सेविका समिति ने इस मेले की यात्रा के संदर्भ में एक प्रदर्शनी लगाई , किस तरह से मेले की शुरुआत 40 वर्ष पहले की गई और आज यह मेला कितना बड़ा स्वरूप ले चुका है ।
मेले में राष्ट्र सेविका समिति की विभिन्न दायित्ववान‌ बहने और सेविका बहने मौजूद रहीं।

नीलिमा शर्मा, मीना बंसल, श्रुति सिंघल, दुर्गेश शर्मा, मीनाक्षी ऋषि, प्रीति सिंह, रति, मीना गुप्ता, रीना, उर्मिला कुलश्रेष्ठ, शशि कोटियार, अलका गर्ग, संध्या, भावना वरदान, वंदना सक्सेना, कविता नोहवार, राधा संगीता जैन, दीपशिखाजी, संगीता शर्मा, शीला धूलेकर, उर्मिला कुलश्रेष्ठ, सुनीता चतुर्वेदी, साधना राठौर, लकी, रश्मि, प्रेमलता, ममता शर्मा, रीता, आरती सामा, अचला, सीमा गर्ग, संध्या, सुकीर्ति सिंह आदि की उपस्थिति और सहभागिता रही।

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  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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