आगरा के समाजसेवी दंपत्ति ने जापान में जाना लम्बी आयु का राज

 

 

*आगरा के समाजसेवी दंपत्ति ने जापान में जाना लम्बी आयु का राज*

*-जापान के ब्लूजोन क्षेत्र ओकीनावा द्वीप में रहते हैं सौ साल से अधिक आयु के बुजुर्ग*

*-लंबी आयु का राज देने वाली 104 वर्ष की बुजुर्ग महिला का किया सम्मान*

आगरा। जापान का ओकीनावा द्वीप 21वीं शताब्दी का सजीव आश्चर्य है जहाँ सभी व्यक्ति 100 वर्ष से अधिक आयु के रहते हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने शिल्प विज्ञान को अपनी कला और प्रकृति प्रेम को अपना धर्म बना दिया है। यहाँ प्रगति और प्रकृति, आधुनिकता और संस्कृति तथा माइक्रोचिप व बुद्ध का अनूठा संयोग देखने को मिलता है..
इनकी लंबी उम्र का राज जानने और इनकी जीवन शैली को निकट से देखने के लिए विगत छह महीने से अथक प्रयासरत आगरा में रोटरी क्लब के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं समाजसेवी अंबरीश पटेल और उनकी पत्नी सोनल पटेल को आखिरकार सफलता मिली और वे फिर विश्व के पाँच ब्लूजोन क्षेत्रों में से एक जापान के ओकीनावा द्वीप पर गये, जहाँ सौ वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग रहते हैं। वहाँ उन्होंने 104 वर्ष की एक वृद्धा का सम्मान किया और उनसे लंबी आयु के रहस्यों पर बात की।
श्री पटेल ने जापान से लौट कर बताया कि जापान स्वर्णिम सूर्योदय का देश है। ओकीनावा टापू जापान के दक्षिण में प्रशांत महासागर में स्थित है। “ब्लूजोन” नाम से विख्यात इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि यहाँ पर सौ वर्ष और उससे अधिक की आयु वाले व्यक्ति ही निवास करते हैँ। वे आमतौर पर किसी से नहीं मिलते। अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं।
यहाँ की आबोहवा, मि‌ट्टी, लोगों के रहन-सहन की पद्धति, उनका खानपान, उनका सामाजिक ढाँचा व तनाव रहित जीवन शैली उनकी लम्बी आयु के लिए वरदान है।
आगरा के इस दंपत्ति ने वहाँ 104 वर्ष की महिला ‘टोयोमा हिराहो’ से मुलाकात की। भारतवासियों की ओर से उनको शाल ओढ़ा कर, उपहार प्रदान कर सम्मानित किया। वहाँ की स्थाई निवासी युवती ‘साशा’ ने अनुवादक की भूमिका अदा की।
टोयोमा ने बताया कि वह अपनी 70 वर्षीय पुत्री के साथ रहती हैं। थकाने वाली गतिविधि से दूर रहती हैं एवं टहलती नहीं हैं। ‘न्यूचीगुसई’ जो औषधि की तरह है, उसका सेवन करती हैं। भोजन चबाने में मुश्किल होती है, इसलिए पंपकिन, कैरट, बनाना, किनाको, ग्रीक योगर्ट आदि को मिक्सी में चलाकर खाती हैं। 12 घंटों की भरपूर नींद सोती हैं। अस्पताल से डाक्टर-नर्स चैकअप के लिए नियमित आते हैं। इन्हें बीपी आदि कोई बीमारी नहीं है। कब्ज को दूर करने के लिए मैगनीसियम लेती हैं। दाँत असली नहीं हैं, लेकिन आँखों की रोशनी पर्याप्त है। टीवी देखती हैं। पढ़ती हैं और दूर तक बगीचे के फूल आदि देख सकती हैं। उनके छह बच्चे हैं, जो अपने परिवारों के साथ समय-समय पर मिलने आते हैं।
उन्होंने बताया कि सभी लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहते हैं, ‘डे केयर’ में मिलते हैं। उनकी खास मित्र, जो 100 वर्ष आयु की हैं, उनसे अपने मन की बात कर लेती हैं। बेटियों के साथ उनके परिवार में पोते-पोती व परपोत्रों से मिल कर उन्हें सर्वाधिक खुशी होती है। जापानी परम्परानुसार सभी उनका भरपूर सम्मान करते हैं।

*भोजन को मानते हैं औषधि*

अम्बरीश पटेल ने बताया कि इस द्वीप पर भोजन का बहुत महत्व है। भोजन को औषधि माना जाता है। यहाँ औषधीय पौधे, सब्जियाँ, फल एवं अन्य दैनिक खाद्य पदार्थों को ‘न्यूचीगुसई’ के नाम से पुकारते हैं जिसका अर्थ ‘जीवन की औषधि’ है। व्यक्ति अपनी भूख का 80 फीसदी भोजन करता है जिसे “हारा हाची बु” के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने बताया कि यहाँ ‘इकिगाई’ के तहत जीवन का महत्व, मकसद व खुशी तलाशते हुए समाज में अपना योगदान देना है। ‘टी सुनागारी’ के तहत एक व्यक्ति दूसरे के प्रति सजगता दिखाते हुए हृदयस्त व्यवहार करता है।

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