
अर्जुन रौतेला संवादाता खमरखा (कमासिन), बांदा। छत्रपति शाहू जी महाराज और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की जयंती पर मंगलवार को जनता दल यूनाइटेड ने बुंदेलखंड की धरती पर सामाजिक न्याय और संगठन विस्तार का एक सशक्त संदेश दिया। ब्लॉक कमासिन के खमरखा गांव में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल एक श्रद्धांजलि सभा था, बल्कि यह एक राजनीतिक पुनर्रचना की शुरुआत थी, जहां गांव, गरीब, पिछड़ा, दलित, महिला और नौजवान को नेतृत्व में लाने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम का आयोजन जदयू युवा प्रकोष्ठ के जिला महासचिव अजीत यादव ने किया। अध्यक्षता जिलाध्यक्ष उमाकांत सविता ने की, संचालन प्रदेश प्रवक्ता संतोष अकेला ने किया। मुख्य अतिथि दिव्यांग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष राम प्रजापति और विशिष्ट अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल रहीं। दोनों ने अपने संबोधन में जदयू की नीति, संगठन की दिशा और सामाजिक न्याय के मूल्यों को स्पष्ट किया।
सभा की शुरुआत शाहू जी महाराज और वी.पी. सिंह के चित्रों पर माल्यार्पण और दो मिनट के मौन श्रद्धांजलि के साथ हुई। वक्ताओं ने कहा कि शाहू जी महाराज ने 1902 में ही पिछड़ों को आरक्षण देकर भारत में सामाजिक क्रांति की नींव रखी। उन्होंने शिक्षा, नौकरी और सामाजिक प्रतिष्ठा में समान भागीदारी का जो रास्ता खोला, वही आज सामाजिक न्याय की रीढ़ है। वी.पी. सिंह ने 1990 में मंडल आयोग लागू करके इस आंदोलन को संविधानिक और राजनीतिक मान्यता दिलाई, जिससे भारत की सत्ता संरचना में ऐतिहासिक बदलाव हुआ।
मुख्य वक्ता पिंकी प्रजापति ने कहा, “शाहू जी और वी.पी. सिंह ने जो लड़ाई शुरू की थी, वह आज भी अधूरी है। सामाजिक न्याय के नाम पर खोखली बातें नहीं, बल्कि नेतृत्व, नीति और नियति में बदलाव चाहिए।” प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने कहा, “राजनीति अब शहरी ड्राइंगरूम से नहीं, ग्रामीण खेतों और चूल्हों से चलेगी। बुंदेलखंड में जदयू वही आवाज़ बनेगा जो अब तक चुप थी या दबा दी गई थी।” उन्होंने कहा कि जदयू उस नेतृत्व को मंच देगा जो वंचित, महिला और युवाओं की जमीनी समझ से निकलेगा।
मुख्य अतिथि राम प्रजापति ने कहा, “सामाजिक न्याय अब सिर्फ नारा नहीं, ज़मीन पर बराबरी और निर्णय की ताक़त का सवाल है। अब समाज में हर वर्ग को निर्णय लेने की भूमिका में लाने का समय है।”
सभा में डॉ. हरीशंकर सिंह खेंगर, सद्दाम, अखिलेश यादव, बिहारी लाल अनुरागी, जानकी देवी, अशोक मिश्रा सहित कई वक्ताओं ने विचार रखे और कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूती देने के लिए जदयू जैसी वैचारिक पार्टी की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
करीब 300 ग्रामीणों की सक्रिय मौजूदगी में जदयू ने संगठन विस्तार की कई घोषणाएं कीं—डॉ. हरीशंकर सिंह खेंगर को जिला सचिव, अजय यादव को ब्लॉक अध्यक्ष (युवा प्रकोष्ठ), प्रतीक यादव को ब्लॉक उपाध्यक्ष (युवा प्रकोष्ठ), और आरती विश्वकर्मा को ब्लॉक अध्यक्ष (महिला प्रकोष्ठ) नियुक्त किया गया। इन नियुक्तियों के ज़रिए यह संदेश भी गया कि जदयू केवल भाषण नहीं, जमीनी निर्माण और नेतृत्व परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रदेश प्रवक्ता संतोष अकेला ने कहा, “यह कार्यक्रम एक सभा नहीं, सामाजिक परिवर्तन की भूमिका है। अब हर गांव जदयू का शक्ति केंद्र बनेगा।”
जदयू की विचारधारा सिर्फ सत्ता प्राप्त करने की कोशिश नहीं, बल्कि सत्ता के चरित्र को बदलने की लड़ाई है। मंडल आयोग, कर्पूरी ठाकुर मॉडल और नीतीश कुमार के सुशासन को मिलाकर जदयू ऐसी राजनीति गढ़ रहा है जो विकास के साथ न्याय को केंद्र में रखती है। बुंदेलखंड जैसे उपेक्षित अंचल में जदयू की मौजूदगी सामाजिक हिस्सेदारी और वैकल्पिक राजनीति की ज़रूरत को पूरा करती है।
खमरखा की यह बैठक महज एक जयंती कार्यक्रम नहीं था—यह एक राजनीतिक उद्घोष था। जदयू अब बुंदेलखंड में केवल संगठन नहीं बना रही, वह हाशिए की जनता को नेतृत्व सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।
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