जन्मदिन पर कर्मसुगंध ताजा हो उठी
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गुजरात के भुत पुर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री माधवसिंह जी सोलंकी का जन्म 29 जुलाई 1927 को जंबूसर तहसील के पिलुदरा गाँव में पिता फूलसिंह और माता रामबा के यहाँ हुआ था।
साधारण पारिवारिक स्थिति के बावजूद शिक्षा के प्रति उत्साह के चलते उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और साथ ही कानून की पढ़ाई कर वकालत की उपाधि भी प्राप्त की। एक अच्छे लेखक, साहित्यकार और पत्रकार बनने की इच्छा रखने वाले माधवसिंह सोलंकी ने ओबीसी समुदाय के सबसे बुद्धिमान नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और 1957 में बोरसद तालुका से चुने जाकर मुंबई राज्य की विधानसभा में पहुँचे।
बाद में गुजरात एक अलग राज्य बनने पर, 1973 में घनश्याम ओझा मंत्रिमंडल में वे राजस्व मंत्री बने।
1975 में गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बनने के बाद वे विपक्ष के नेता भी रहे।
1976 से 1985 के दौरान वे दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।
इस दौरान गुजरात में आरक्षण आंदोलन हुआ। माधवसिंहजी ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर 120 ओबीसी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की। लेकिन सवर्ण समाज के भड़कावे में आकर ओबीसी समाज ने अनुसूचित जातियों के आरक्षण का विरोध करना शुरू कर दिया।
हकीकत यह थी कि आरक्षण तो ओबीसी जातियों को मिला था, लेकिन “आरक्षण” शब्द सुनकर ही लोगों में भ्रम पैदा हुआ और अनुसूचित जातियों का विरोध शुरू हो गया।
दरअसल, अनजान, अबोध और अशिक्षित ओबीसी समाज माधवसिंहजी के साहसिक निर्णय को समझ नहीं सका, और आरक्षण विरोधी सवर्ण समाज ने इसी भोलेपन का फायदा उठाकर दंगे कराए और माधवसिंहजी के खिलाफ माहौल बनाया।
अनसमझ और अशिक्षित ओबीसी लोग माधवसिंहजी के पक्ष में खड़े होने के बजाय आरक्षण विरोधियों के साथ हो गए और अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की बस्तियों और कॉलोनियों पर हमले किए।
इसके बावजूद, मार्च 1985 में उन्होंने 149 सीटें जीतकर तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला। उन्होंने अपनी कैबिनेट में 90% सीटें अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग को दीं।
परंतु उनका शासनकाल अल्पकालिक रहा। इस दौरान आरक्षण आंदोलन उग्र हो गया और हिंदू-मुस्लिम, दलित तथा अन्य वर्गों के बीच साम्प्रदायिक दंगे हुए। कई अमानवीय घटनाएँ घटीं और जनभावनाओं के सामने केंद्र सरकार झुक गई, जिसके चलते माधवसिंह सोलंकी को इस्तीफा देना पड़ा।
इसके बाद अक्टूबर 1989 में वे चौथी बार मुख्यमंत्री बने। 1990 के चुनाव में वे आठवीं बार विधायक निर्वाचित हुए। केंद्र सरकार में राजीव गांधी मंत्रिमंडल में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया, लेकिन विवादास्पद बोफोर्स कांड के चलते उन्होंने यह पद छोड़ दिया और 2000 के बाद वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए।
94 वर्ष की दीर्घायु पूरी कर उन्होंने 7 जनवरी 2021 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
वास्तव में, गुजरात में ओबीसी जातियों से आने वाले एकमात्र प्रखर बुद्धिजीवी नेता के रूप में माधवसिंह सोलंकी को हमेशा याद किया जाएगा।
माधवसिंह सोलंकी जैसे महान राजनीतिज्ञ को उनके जन्मदिन पर सूरत शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री विपुल भाई उधना वाला पुर्व प्रमुख श्री धनसुख भाई राजपूत श्री बाबू भाई रायका श्री हसमुख पटेल श्री नैशद देसाई श्री भावेश रबारी श्री अशोक भाई पिपले श्री भूतपूर्व नगर सेवक असलम भाई साइकिल वाला श्री असद भाई कल्याणी श्री चंपालाल बोथरा श्री हरीश भाई सूर्यवंशी श्री अशोक भाई कोठारी श्री रोशन मिश्रा श्री शशि भाई दुबे श्री आदित्य शुक्ला श्री विवेक राय श्री भूपेंद्रभाई सोलंकी श्री काशिफ रिजवान उस्मानी श्री कल्पेश भाई बारोट श्री इकबाल फराम श्री कल्पेश भाई बारोट श्री किरण रायका श्री नागेश मिश्रा श्री सुनाल शेख श्री अवधेश सिंह राजपूत श्री दयाराम तिवारीश्री मनीष भाई गीलीटवाला श्री प्रिंस पांडे सेवादल प्रमुख श्री संतोष पाटिल श्री चंद्र किशोर राठी श्री देवेंद्र महा राणा श्री बंशीधर लंका श्री हरीश परमार श्री जयेश भाई भट्ट के साथ सभी कार्यकर्ताओं का श्री रामजी राठौड़ के साथ विनम्र श्रद्धांजलि
। टी यन न्यूज 24 आवाज जुर्मके खिलाफ सूरत से संवाददाता राजेंद्र तिवारी के साथ नरेंद्र प्रताप सिंह कि खास रिपोर्ट स्थानीय प्रेस नोट और विज्ञापन के लिए संपर्क करें 9879855419
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