अस्पताल परिसर में 5 फुट लंबा अजगर हो या आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज के अंदर एक जहरीला कोबरा या फिर रुनकता स्थित गांधीधाम आश्रम से रेस्क्यू किया गया 6 फुट लंबा रैट स्नेक हो, शहर में अप्रत्याशित बारिश ने साँपों को जंगल से बाहर आने पर मजबूर कर दिया है और वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट को काफी व्यस्त l
मॉनसून की बारिश शहर में फिर से दस्तक दे रही है, जिसके फलस्वरूप वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट को पता है कि यह उनके लिए एक व्यस्त सप्ताह में से एक हैं, क्योंकि विभिन्न सरीसृप प्रजातियां जंगल से शहर की ओर आश्रय लेने को मजबूर होंगी। सप्ताह की शुरुवात से लेकर अभी तक एनजीओ की हेल्पलाइन (+91-9917109666) पर टीम को सांपों, मॉनिटर लिज़र्ड (गोह) और यहां तक कि कछुओं के बारे में कॉल प्राप्त हुई, जो की शहरी आवास में देखी गई थी !
वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने बिचपुरी के पाठक अस्पताल से पांच फुट लंबे अजगर, आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर से चार फुट लंबे कोबरा और रुनकता स्थित गांधी आश्रम से छह फुट लंबे रैट स्नेक सहित सप्ताह की शुरुवात से लेकर अभी तक 21 सरीसृपों को बचाया है। एनजीओ ने जीवनी मंडी और लोहा मंडी से दो वुल्फ स्नेक को भी बचाया।
इस सप्ताह में कुल 4 अजगर, 4 कोबरा, 7 वुल्फ स्नेक, 4 रैट स्नेक, एक मॉनिटर लिज़र्ड (गोह) और एक फ्लैपशेल कछुए को बचाया है।
*वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा,* “बारिश में साँपों से जुड़ी कॉल्स में वृद्धि होती हैं। चूंकि सांप और मॉनिटर लिज़र्ड के घर यानी गड्ढों में पानी भर जाता है, इसलिए वे सुरक्षित और सूखे स्थान की तलाश में जाने-अनजाने में आवासीय क्षेत्रों में आ जाते हैं, जिससे लोग भयभीत हो उठते हैं।
*वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा,* “हमें मानसून के मौसम के दौरान सरीसृप रेस्क्यू के लिए अधिकतम कॉल आती हैं और इस दौरान प्रतिदिन हमारी टीम करीब 10 से अधिक रेस्क्यू कॉल्स का जवाब देती हैं ! हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करते रहें और ऐसी किसी भी घटना की सूचना हमारी हेल्पलाइन पर दें।”
सभी सांपों को कुछ घंटों तक निगरानी में रखा गया और बाद में उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।
Prem Chauhan
Editor in ChiefUpdated Video
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