
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या में कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह एवं अपर निदेशक प्रसार डॉक्टर आर.आर. सिंह के कुशल मार्गदर्शन व निर्देशन में संचालित कृषि विज्ञान नानपारा, बहराइच में टी.एस.पी. परियोजना अंतर्गत *दलहनी फसलों की वैज्ञानिक खेती पर एक दिवशीय कृषक प्रशिक्षण* का आयोजन किया गया । प्रशिक्षण में महिला व पुरुष प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रतिभा किया गया। प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर शैलेंद्र सिंह द्वारा रवि में उगाई जाने वाली गेहूं की विभिन्न प्रजातियो के विषय में विशेष रूप से चर्चा करते हुए कृषकों को अवगत कराना कि गेहूं की उन्नतशील प्रजातियां का चयन कर उनका बीज शोधन कर समय से बुवाई जीरो सीड ड्रिल कम फर्टिलाइजर मशीन से किया जाना चाहिए जिससे भूमि में बीज एवं उर्वरक की संतुलित मात्रा भूमि में उचित स्थान पर गिरती है जिससे फसल की उत्पादन व उत्पादकता अच्छी होती है, योजना अंतर्गत कृषको को गेहूं व मसूर की उन्नतशील प्रजातियों के बीच में उपलब्ध कराए गए । डॉ सुराबली सिंह ने तिलहनी फसलों विशेष रूप से लाही व सरसों की वैज्ञानिक कृषि के विषय में किसानों को अवगत कराया की गुणवत्ता युक्त बीजों का चयन कर उसमें संतुलित पोषक तत्वों की मात्रा का समावेश करते हुए लाइन से बुवाई की जानी चाहिए एवं मुख्य रूप से सल्फर का प्रयोग उसमें अवश्य किया जाना चाहिए सल्फर का प्रयोग दलहनी व तिलहनी फसलों के लिए नितांत आवश्यक है। केंद्रा अध्यक्ष डॉक्टर शशिकांत यादव के द्वारा धान की फसल की कटाई के उपरांत फसल अवशेष प्रबंधन के विषय में विशेष रूप से किसानों को जागरूक किया कि धान की फसल की कटाई के उपरांत पराली को खेत में कदापिना जलाया जाए इससे भूमि में उर्वरक शक्ति व जीवाश्म पदार्थ अन्य पोषक तत्वों की अपूरणीय क्षति होती है । परली प्रबंधन के अंतर्गत धान की फसल की कटाई के उपरांत सुपरसीटर व हैप्पी सीटर से फसल अवशेष प्रबंधन एवं बुवाई का कार्य एक साथ किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के मल्चर का प्रयोग करके भी फसल अवशेष का प्रबंध पूसा डीकंपोजर के सहयोग से किया जा सकता है जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति एवं अन्य समस्त पोषक तत्वों का उचित प्रकार से प्रबंध सुनिश्चित किया जा सकता है एवं उर्वरता शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।मनोज त्रिपाठी 8081466787. बहराइच।

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