
आगरा। गगनयान मिशन पर जाने वाले क्रू मेंबर को सुरक्षित उतारना सबसे बड़ी चुनौती रहा है। इसके समाधान को हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ADRDE) ने ऐसा रिकवरी सिस्टम विकसित किया है जो अब तक मौजूद सिस्टम से कई गुना अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित है।
इस क्रू मॉड्यूल रिकवरी सिस्टम में 10 पैराशूट लगे हैं। यह मॉड्यूल वापसी में क्रू मेंबर को सुरक्षित उतारने में मदद करेगा। इस सिस्टम का धरातल और समुद्र पर सफल परीक्षण किया जा चुका है।
सुरक्षित लैंडिंग की जांच
शनिवार सुबह आठ बजे श्रीहरिकोटा रेंज से टेस्ट व्हीकल के साथ इसका परीक्षण होना है। इसमें सुरक्षित लैंडिंग की जांच होगी। एडीआरडीई देश का इकलौता प्रतिष्ठान है, जो पैराशूट को विकसित करता है। इसमें हैवी ड्रॉप सिस्टम भी शामिल है। चार वर्ष पूर्व एडीआरडीई की टीम ने गगनयान के लिए क्रू मॉड्यूल रिकवरी सिस्टम को विकसित करना शुरू किया।
क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग
गगनयान में तीन यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे। सबसे कठिन कार्य इन सदस्यों को वापस लेकर आने वाले क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग है। एडीआरडीई ने इसी के लिए रिकवरी सिस्टम विकसित किया है। इस सिस्टम में चार हिस्से हैं जिसमें कुल 10 पैराशूट लगाए गए हैं। एपेक्स कवर सेपरेशन वाले भाग में दो पैराशूट लगे हैं। यह एक तरीके से सुरक्षा कवर का काम करते हैं।
सफल परीक्षण
मॉड्यूल की गति को नियंत्रित करने के लिए दो अन्य पैराशूट लगाए गए हैं। मॉड्यूल के पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ने पर यह ड्रग पैराशूट खुल जाते हैं। इससे असामान्य गति से बढ़ रहे मॉड्यूल की गति नियंत्रित हो जाती है। इसके बाद पायलट प्रणाली और मुख्य पैराशूट हैं। इनमें तीन-तीन पैराशूट लगे हैं। इनके खुलने पर गति पूरी तरह धीमी हो जाती है और सुरक्षित लैंडिंग शुरू हो जाती है। इस सिस्टम का मलपुरा ड्रॉपिंग जोन, आगरा सहित कई अन्य जगहों पर स्थलीय सफल परीक्षण हो चुका है।
टीवी-डी-1 परीक्षण
शनिवार को सुबह आठ बजे श्रीहरिकोटा से इसका परीक्षण किया जाएगा। इस परीक्षण को टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 (टीवी-डी-1) नाम दिया है। इसरो इस टेस्ट व्हीकल को अंतरिक्ष में करीब 400 किलोमीटर ऊपर भेजकर एडीआरडीई की ओर से विकसित क्रू मॉड्यूल रिकवरी सिस्टम का परीक्षण करेगा। यह मॉड्यूल सुबह नौ बजे बंगाल की खाड़ी में लैंडिंग करेगा।





Updated Video