संवादाता अर्जुन रौतेला। आगरा विकास प्राधिकरण व आगरा डैवलपमेंट फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल, आगरा के सौजन्य से शुक्रवार, 20 अक्टूबर को ताज नगरी, फेस टू स्थित जोनल पार्क चौपाटी के एमपी थियेटर में नवरात्रि रास गरबा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास व विद्यालय परिवार एवं अभिभावकों के संबंधों को सुदृढ़ करने के प्रयास में प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल सदैव अग्रणी रहता है। इसी ध्येय को दृष्टिगत रखते हुए विद्यालय द्वारा छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों हेतु गरबा कार्यक्रम आयोजित किया गया। गरबा परमात्मा के नारी रूप की श्रद्धा और पूजा की अभिव्यक्ति है, जिसके माध्यम से भक्त उस देवी के प्रति प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमें अपनी बाह्य व आंतरिक बुराइयों को नष्ट करने और अपने अंदर की सकारात्मक ऊर्जा तक पहुंँचने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सांय 7:00 बजे समस्त अतिथिगण, विद्यालय के निदेशकगण डॉ० सुशील गुप्ता, श्री श्याम बंसल, प्राचार्य अरविंद श्रीवास्तव, प्रमुख समन्वयक संजय शर्मा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ० मंजू भदोरिया तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में एडीएम सचिव गरिमा सिंह उपस्थित थीं, जिनका सम्मान विद्यालय के निदेशकगण द्वारा शॉल पहनाकर किया गया।
इस गरबा कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अपने अभिभावकों व शिक्षकों के साथ जमकर ठुमके लगाए। इसके अतिरिक्त कलाकारों ने भी बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दीं। इन कलाकारों के साथ लोग भी देर रात तक डांडिया की मस्ती में झूमते रहे।
विद्यालय के निदेशकगण, प्राचार्य जी ने डांडिया नर्तकों व नर्तकियों का हौसला बढ़ाते हुए उनके साथ कदम से कदम मिलाकर गरबा कर सभी का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि ब्रज और गुजरात की साझा संस्कृति की मनमोहक झलक आज संयोजन में साफ़ दिखाई दे रही है।
शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों ने एक से एक शानदार प्रस्तुतियाँ देकर जमकर धमाल मचाया। कार्यक्रम में बेहतर प्रस्तुति व आकर्षक वेशभूषा के लिए विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
कार्यक्रम का संचालन अविनाष ने किया। अंत में डॉ० सुशील गुप्ता ने उपस्थितजन का आभार व्यक्त करते हुए सभी की प्रस्तुतियों की सराहना की।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।