भारत के कपड़ा उद्योग और सूरत के सिंथेटिक कपड़ा बाजार के अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियां का करना पड़ेगा सामना श्री चंपालाल बोधरा

भारत के कपड़ा उद्योग और सूरत के सिंथेटिक्स कपड़ा बाज़ार को अमेरिकी टैरिफ़ की चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना :-
चम्पालाल बोथरा
—————————-
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)के
टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन चम्पालाल बोथरा ने बताया की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वैश्विक आयतों पर व्यापक नए टैरिफ लागू किए है जिससे भारत के उत्पादों पर 26% की दर से शुल्क लगाया गया है । यह निर्णय भारतीय कपड़ा उद्योग को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है ।
निर्यात लागत में बढ़ोतरी से अमेरिकी बाज़ार में भारत के कपड़ों और परिधानों की क़ीमते बढ़ेगी जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है ।
वर्तमान में अमेरिका में भारत कपड़े और परिधानों के आयात में तीसरा बड़ा आपूर्तिकर्ता है । बढ़ते टैरिफ की वजह से अमेरिकी खरीददार वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की और रूख कर सकते है जिससे भारत की बाज़ार की हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है ।
साथ ही बढ़ते टेरिफ की वजह से निर्यात मूल्य में गिरावट आ सकती है इससे उद्योग की आय पर नकारात्मक प्रभाव आ सकता है ।
अमेरिका के बढ़ाए टेरिफ से कॉटन परिधानों की रेट बढ़ जाएगी जिससे अमेरिकी बाज़ार में इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी । सूरत सहित सभी सिंथेटिक्स कपड़ों पर भी शुल्क वृद्धि से सिंथेटिक्स उत्पादों की क़ीमते भी बढ़ेगी जिससे निर्यात प्रभावित होगा ।साथ ही भारत के बेडशीट ,पर्दे और कालीन जैसे घर सजाने के उत्पादों पर भी बढ़ी हुई टेरिफ की वजह से माँग में कमी आ सकती है ।
भारत के तमिलनाडु के तिरुपुर से होने वाले एक्सपोर्ट पर काफ़ी असर आ सकता है तिरुपुर आज भी टोटल कपड़ा निर्यात का 54% योगदान देता है ।
बढ़ी हुई टैरिफ़ से लागत बढ़ना और महंगा होने से अमेरिकी बाज़ार में अन्य देशों से सामना करना पड सकता है ।
गुजरात के सूरत के सिंथेटिक्स कपड़े का जिसका भारत में 60% का महत्वपूर्ण उत्पादन में योगदान है उसके निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड सकता है । अहमदाबाद का डेनिम और जींस के एक्सपोर्ट को भी कम कर सकता है । साथ ही अलग अलग राज्यो के कपड़ा उद्योगों में महाराष्ट्र के मुंबई , वेस्ट बंगाल के कोलकत्ता और कर्नाटक के बैंगलोर , राजस्थान के जयपुर , दिल्ली ,नोएडा के बनते परिधानों के निर्यात को प्रभावित करेगा ।

अमेरिका के 26% टेरिफ का भारतीय बाज़ारो के रेडीमेड गारमेंट , कॉटन यार्न , कॉटन फैब्रिक और परिधान , सिंथेटिक , विस्कोस ,
नाईलोन के परिधान और फैब्रिक्स और बेडशीट , पर्दे , तोलिये , कारपेट , हैंडलूम , हस्तशिल्प आदि सभी के व्यापार के निर्यात में लागत और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी ।
इन सब चुनौतियों का सामना करने और भारत के कपड़े के एक्सपोर्ट बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार को उचित बातचीत कर कपड़े पे दोनों देश शुन्य शुन्य टैरिफ़ समझौता करने से ही दोनों देशों के निर्यातकों को समान अवसर प्राप्त हो सकते है । साथ ही भारत सरकार सभी देशों के टैक्स की तुलनात्मक अध्यन कर टैक्स छूट रिबेट आदि दे तो
अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए नए टैरिफ से भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए कुछ अवसर उत्पन्न भी कर सकता है हालांकि भारतीय वस्त्र निर्यात पर 26% का टैरिफ लगाया गया है, लेकिन यह दर अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कम है: जिनके साथ हम एक्सपोर्ट में तुलना करते रहे है जैसे
   •   चीन: 34%
   •   वियतनाम: 46% 
   •   बांग्लादेश: 37% 
   •   कंबोडिया: 49% 
   •   श्रीलंका: 44% 

इन उच्चतर टैरिफ दरों के कारण, इन देशों से अमेरिकी बाजार में वस्त्रों की लागत बढ़ सकती है, जिससे भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल सकती है।
भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए संभावित अवसर बन सकते है जैसे
1. बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि: प्रतिस्पर्धी देशों पर उच्च टैरिफ के परिणामस्वरूप, अमेरिकी खरीदार भारतीय वस्त्रों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे भारत की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ सकती है।
2. नए निवेश आकर्षित करना: उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति भारत में नए उत्पादन इकाइयों की स्थापना और निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी। 
3. नीतिगत सुधारों का लाभ: यदि भारत कच्चे कपास पर आयात शुल्क हटाने जैसे नीतिगत सुधार करता है, तो इससे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता और बढ़ सकती है। 
हालांकि अवसर मौजूद हैं, लेकिन भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा और नए टैरिफ के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए रणनीतियाँ विकसित करनी होंगी। इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान और अमेरिकी व्यापार नीतियों में बदलाव के कारण अनिश्चितता बनी हुई है। 
अमेरिकी टैरिफमें बदलाव से भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए नए अवसर उभर सकते हैं। हालांकि, इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए उद्योग को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ानी होगी, नीतिगत सुधारों पर ध्यान देना होगा, और वैश्विक व्यापार परिवर्तनों के प्रति सतर्क रह कपड़ा उद्योग को सहयोग धरातल पे करना पड़ेगा साथ ही उद्योग को आर्थिक सहयोग कम ब्याज लोन , एक्सपोर्ट सबसिडी आदि अनेक पहलुओं पे तत्काल बदलाव लाकर कदम उठाने होंगे तभी भारतीय कपड़ा उद्योग और व्यापार टिक पाएगा अन्यथा
मंदी के दौर में व्यापार और रोज़गार को प्रभावित करेगा ।

चम्पालाल बोथरा
टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी
राष्ट्रीय चेयरमैन
CAIT
9426157835
टी यन न्यूज 24 आवाज जुर्मके खिलाफ सूरत से संवाददाता राजेंद्र तिवारी कि खास रिपोर्ट स्थानीय प्रेस नोट और विज्ञापन के लिए संपर्क करें 9879855419

Follow us on →     
IMG-20241223-WA0034

Updated Video
 
IMG-20241223-WA0034
gc goyal rajan
  • Related Posts

    देश केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर खजुराहो को करेंगें नोएडा की तरह विकसित

    संवाददाता अर्जुन रौतेला। नगर परिषद खजुराहो में आर्थिक और औद्योगिक विकास: सीएमओ बसंत चतुर्वेदी एवं अध्यक्ष अरुण अवस्थी द्वारा करोड़ों के विकास प्रस्तावित शासकीय प्रोजेक्ट से रोजगार के बढ़ेंगे अवसर।मध्य…

    ब्राह्मण महासभा व भारतीय सप्तऋषि सेवा संघठन द्वारा होमगार्ड राज्यमंत्री के परिजनों हेतु बुद्धि शुद्धि यज्ञ

    अर्जुन रौतेला संवादाता। आज दिनाँक 8 अप्रैल को ब्राह्मण महासभा भारत व भारतीय सप्तऋषि सेवा संघठन आगरा द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार में होमगार्ड राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति व उनके परिजनों के…

    Leave a Reply