जिला क्षय रोग विभाग की टीम ने सावई हुमायुपुर गांव में की स्क्रीनिंग,
1960 है गांव की आबादी, जांच के लिए 60 से अधिक के स्पुटम लिए गए
हापुड़: गुरूवार को जिला क्षय रोग विभाग ने टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान के तहत ऐसे गांवों का चिन्हांकन करने के बाद स्क्रीनिंग शुरू की है जिन गांवों में पिछले एक वर्ष में टीबी का नया रोगी सामने नहीं आया है। इस कड़ी में बृहस्पतिवार को जिला क्षय रोग विभाग की टीम जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने नेतृत्व में सावई हुमायुपुर गांव पहुंची और स्क्रीनिंग की। स्क्रीनिंग के दौरान जांच के लिए 60 से अधिक स्पुटम लिए गए। गांव की आबादी 1960 है। बता दें कि मानक के मुताबिक एक हजार की आबादी पर कम से 30 व्यक्तियों की जांच करना जरूरी है। सभी जांच यदि निगेटिव आती हैं तो ऐसी ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त माना जाएगा।डीटीओ डा. राजेश सिंह ने बताया – मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी के कुशल निर्देशन में टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान को गति देने के लिए ऐसे गांवों की स्क्रीनिंग की जा रही है जहां टीबी रोगी कम हैं और काफी समय से कोई नया रोगी भी सामने नहीं आया है। बृहस्पतिवार को सबसे पहले सावई हुमायुपुर गांव में स्क्रीनिंग की गई। ग्राम प्रधान धीरज सिरोही ने स्क्रीनिंग के दौरान भरपूर सहयोग प्रदान किया। इस मौके पर ग्रामीणों का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया। उन्हें बताया गया कि दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहना, खांसी में बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, सीने में दर्द रहना, अचानक वजन कम होना या थकान रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से एक भी लक्षण आने पर टीबी की जांच कराना आवश्यक है। डीटीओ ने बताया – टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह फेफड़ों को प्रभावित करती है। फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है, यह सांस के जरिए फैलती है। इसलिए इसकी जल्दी पहचान और उपचार जरूरी है। उपरोक्त लक्षण आने पर भी टीबी की जांच न कराने से रोगी के परिजन भी टीबी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। दूसरी ओर यदि समय से उपचार शुरू हो जाए तो दो माह में रोगी अपने संपर्क में आने वालों को संक्रमण देने की स्थिति में नहीं रहता है। इसके अलावा किसी परिवार में यदि टीबी रोगी की पहचान होती है तो परिवार के सभी सदस्यों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) भी दी जाती है। टीबी संक्रमण की चेन ब्रेक करने के लिए यह जरूरी है, संक्रमण की चेन ब्रेक करने से ही टीबी मुक्त ग्राम पंचायत और फिर टीबी मुक्त भारत का संकल्प पूरा होगा। स्क्रीनिंग के दौरान जिला क्षय रोग विभाग से एसटीएस हसमत अली और दीपक कुमार के साथ लैब टैक्नीशियन राकेश बैंसला का भी सहयोग रहा।जिले की पांच ग्राम पंचायत हो चुकी हैं टीबी मुक्त
जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया कि जनपद की पांच ग्राम पंचायतें 24 मार्च, 2024 को विश्व टीबी दिवस के मौके पर टीबी मुक्त घोषित की गई हैं। इन ग्राम पंचायतों में गढ़ मुक्तेश्वर ब्लॉक से लोधीपुर और कल्याणपुर एवं सिंभावली ब्लॉक से नवादा कलां, अट्टा धनावली और असरा ग्राम पंचायत शामिल हैं। इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विभागीय स्तर पर स्क्रीनिंग के बाद अन्य ग्राम पंचायतों को भी सिलसिलेवार ढंग से टीबी मुक्त कराने के लिए विभाग की ओर से दावा पेश किया जाएगा। अभियान का सफल बनाने के लिए जन सहयोग जरूरी है, जो लक्षण आने पर तुरंत जांच कराकर किया जा सकता है। टीबी की जांच और उपचार की सुविधा जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।
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