अर्जुन रौतेला, आगरा संवादाता। आज संजय पैलेस स्थित यूथ हॉस्टल में राज्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षिका प्रियंका गौतम (बेसिक शिक्षा विभाग) और निखिल जैन (माध्यमिक शिक्षा विभाग) के लिये सम्मान समारोह व शिक्षिका और रचनाकार मंजू यादव “ग्रामीण” की दो पुस्तकों- “सफर आसान न था”, और “पेप्सी डेंजर” का विमोचन भी हुआ।
इस अवसर पर बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत रचनाकारों की काव्य गोष्ठी का आयोजन भी बड़े ही धूमधाम से किया गया, जिसमें एक से बढ़कर एक कविताओं का गायन हुआ, जिसमें ओज कवि मोहित सक्सेना ने शिक्षकों के महत्व पर जो पंक्तियां प्रस्तुत की उसपर सभी शिक्षक/ शिक्षिकाओं ने जोरदार तालियां बजाईं।
कार्यक्रम संयोजक यशोधरा यादव ने संचालन किया तो वहीं सहयोगियों रीनू वर्मा, आशा रानी व ममता सागर द्वारा कार्यक्रम को भव्यता दी गई।
कांची सिंघल की सरस्वती वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फिरोजाबाद विधान परिषद सदस्य विजय शिवहरे रहे।
मुख्य अतिथि विजय शिवहरे ने शिक्षकों को समाज की आधारशिला बताते हुए कहा कि शिक्षक का कद माता – पिता से अधिक होता है, क्योंकि माता – माता अपने बच्चों से अधिक स्नेह करते हैं जिससे बच्चा सदमार्ग से भी विचलित हो सकता है लेकिन शिक्षक एक आंख से प्यार भी करता है दूसरी आंख से गुस्सा भी, इसी कारण अधिकांश बच्चे अपने माता – पिता की बात पर कम अमल करते हैं लेकिन अपने शिक्षकों की बातों को अधिक महत्व देते हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में रमा वर्मा “श्याम” और डॉ. सुषमा सिंह (संस्थापिका, साहित्य साधिका समिति) रही।
यह कार्यक्रम माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग का अद्भुत संगम था।सभी शिक्षक/शिक्षिकाओं ने एक स्वर में बोला “आवाज दो हम एक है”।
काव्य गोष्ठी के लिए आमंत्रित शिक्षा विभाग के रचनाकारों में राजश्री यादव, अलका अग्रवाल, वंदना चौहान, प्रार्थना मिश्रा, कृष्णा उपाध्याय, मोहित सक्सेना (राष्ट्रीय ओज कवि), कांची सिंघल, पदम गौतम (राष्ट्रीय कवि) के साथ अन्य स्वनामधन्य रचनाकारों की गरिमामय उपस्थिति रही।
शिक्षकों में परमवीर सिंह, संध्या सिंह, उमा यादव, लक्ष्मी यादव, चेतना सिंह, विवेक यादव, शाहताज गौतम, विकास माहौर, संगीता, प्रदीप शर्मा सहित लगभग सौ से भी अधिक शिक्षक/ शिक्षिकाओं और रचनाकारों की गरिमामय उपस्थिति रही।
कार्यक्रम सफल संचालन यशोधरा यादव “यशो’ द्वारा किया गया।
अंत में कार्यक्रम संयोजिका रीनू वर्मा द्वारा सभी का धन्यबाद प्रेषित किया गया।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।