अर्जुन रौतेला (संवादाता आगरा)। आगरा की संगीत और समझ को समर्पित संस्था गुनगुनाती जिंदगी (एक सच्ची कोशिश) ने सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के जन्म दिवस पर एक सुरमई संध्या का आयोजन किया, जिसमें लता जी को गीतों के द्वारा श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री चंद्रकात त्रिपाठी और विशिष्ट अतिथि महेश धाकड़ जी द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलन के द्वारा किया गया।
संस्था के संस्थापक डॉक्टर रश्मि त्रिपाठी और ललिता करमचंदानी द्वारा संस्था के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी गई। संस्था के सदस्यों द्वारा लता जी के विभिन्न तरह के गीतों को गाकर गीतांजलि दी गई। डॉ संजीव वोहरा, डा कविता भटनागर, वीना छाबड़ा, वंदना अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, राखी मित्तल, मधुकर चतुर्वेदी, अमृत सोलंकी, मणि शर्मा, डॉ प्रदीप शर्मा, सुप्रिया मनचंदा,अजय श्रीवास्तव इन सभी के द्वारा रहें न रहें हम शीशा हो या दिल हो, दिल तो है दिल ,दिल दीवाना बिन सजना के, तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया, रंग दिल की धड़कन भी ,16 बरस की बाली उमर, न जाने क्या हुआ जो तूने छू लिया, अजीब दास्तां है यह जैसे लता जी के कई लोकप्रिय गीत प्रस्तुत किए गए।मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में संस्था के इस प्रयास की सराहना की ।कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों में माया श्रीवास्तव, मनीष बंसल रानू बंसल आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन ललिता करमचंदानी द्वारा किया गया और अंत में डॉ रश्मि त्रिपाठी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। संस्था की ओर से हर कार्यक्रम में अतिथियों को पौधे उपहार में दिए जाते हैं ताकि पर्यावरण को बचाने का संदेश समाज में जा सके।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।