शालिनी सिंह पटेल: संघर्ष और साहस की मिसाल

अर्जुन रौतेला संवादाता। बांदा की धरती ने हमेशा से संघर्षशील व्यक्तित्व को जन्म दिया है, और ऐसी ही एक प्रेरणादायक गाथा है शालिनी सिंह पटेल की। उनका जीवन संघर्ष और साहस की अनोखी मिसाल है।

बचपन में छाया कठिनाइयों का साया

शालिनी का बचपन कठिनाइयों से भरा रहा। उनके पिता का हाथ एक दुर्घटना में कट गया था, लेकिन यह विपत्ति यहीं नहीं रुकी। कुछ वर्षों बाद कैंसर के कारण उनके पिता का निधन हो गया। परिवार की स्थिति पहले से ही कमजोर थी, और एक भाई की राजनीति साजिश के तहत हुई दुर्घटना में मौत ने पूरे परिवार को बेसहारा कर दिया।

शिक्षा के लिए संघर्ष

ऐसे कठिन हालातों के बावजूद शालिनी ने हार नहीं मानी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तो गांव में पूरी हो गई, लेकिन आगे पढ़ाई के लिए स्कूल की कमी ने उनकी राह में बाधा खड़ी कर दी। उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए 14 किलोमीटर की दूरी रोजाना पैदल तय की। साधनों की कमी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और साबित किया कि मजबूत इच्छाशक्ति के सामने कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती।

पत्रकारिता और जेल

शालिनी सिंह पटेल ने अपने संघर्ष की राह में पत्रकारों के मुद्दों को उठाकर आवाज बुलंद की। लेकिन उनकी यह हिम्मत कुछ ताकतवर लोगों को रास नहीं आई। इसके परिणामस्वरूप उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल की दीवारें भी उनके साहस को डिगा नहीं सकीं।

राजनीति में कदम और जेडीयू से जुड़ाव

जेल से निकलने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) को ज्वाइन किया। शालिनी ने राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। अपने संघर्ष और जनता के लिए किए गए कामों की बदौलत वे बांदा और आसपास के क्षेत्रों में एक मजबूत ब्रांड बन गई हैं।

जनता की आवाज और मददगार चेहरा

शालिनी सिंह पटेल अब हर पीड़ित के साथ खड़ी होती हैं। चाहे किसी को न्याय दिलाने की बात हो या जरूरतमंदों की मदद करने की, शालिनी हर बार आगे रहती हैं। उनका कहना है, “मैंने जीवन में जो भी कठिनाइयां देखीं, उन्होंने मुझे मजबूत बनाया। अब मैं चाहती हूं कि कोई और उन मुश्किलों से न गुजरे।”

बांदा से निकलकर देश विदेश में नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला। अकेले महिला जो बांदा बुंदेलखंड से शालिनी सिंह पटेल रहीं।

आज शालिनी सिर्फ बांदा के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं। उनका जीवन यह दिखाता है कि मजबूत इच्छाशक्ति और हिम्मत से कोई भी मुश्किल राह आसान बनाई जा सकती है।

अन्य खबरों हेतु संपर्क करें संवादाता अर्जुन रौतेला 8868868461

IMG-20241223-WA0034

Updated Video
 
IMG-20241223-WA0034
gc goyal rajan
  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

    Related Posts

    शबाना खंडेलवाल लंदन में भारत गौरव सम्मान से होंगी सम्मानित सीसी

    अर्जुन रौतेला संवादाता आगरा। ब्रिटेन में  5 देशों में 15 अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्था कॉन्फ्लुएंस आर्टिफाइड  शबाना खंडेलवाल को लंदन में आयोजित कार्यक्रम में भारत गौरव सम्मान से…

    संत रविदास जयंती : प्रदेश अध्यक्ष शालिनी पटेल के नेतृत्व में कई नेताओं ने जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की

    अर्जुन रौतेला संवादाता। जनतादल यूनाइटेड (जेडीयू) कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ शालिनी सिंह पटेल की अध्यक्षता में संत रविदास जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर लगभग…

    Leave a Reply