तकनीकी के युग में हाथों के हुनरबंदों को जीविका चलाना भी मुश्किल
यूनेस्को दिल्ली की ओर से सिविल लाइन स्थित संस्कृति भवन में “विश्व धरोहर, सतत विकास और स्थानीय समुदाय” के अंतर्गत आयोजित “पच्चीकारी के लिए उत्पाद विविधीकरण और बाजार संपर्क” विषय पर परिचर्चा का किया गया।
इसमें हस्तशिल्प पच्चीकारी के संरक्षण, इसके उत्पादों में विविधता लाने और बाजार से बेहतर जुड़ाव स्थापित करने पर विशेष चर्चा करते हुए बैठक सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम की विधिवत् शुरुआत आगरा नगर निगम की मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह, डॉ. एसपी सिंह ( प्रधानाचार्य), मनीष रॉय ( फाउंडर एक पहल संस्था) आदि ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
महापौर ने कहा कि निश्चित रूप से यह हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है यूनेस्को ने सम्पूर्ण भारत में सबसे पहिले आगरा की पच्चीकारी, शिल्पकला जैसे सुस्त अवस्था में पड़े कार्यों में फिर से बढ़ाने का कार्य किया है यह निश्चित ही आगरा के कारीगरों के परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं दैनिक दिनचर्या को सुदृढ़ बनाएगा, जिससे अपने शहर आगरा को और अधिक बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया जा सकेगा।
इस बैठक को पच्चीकारी, जरदारी, मार्बल विशेषज्ञ, कारीगर, शोधकर्ता और नीति-निर्माता इस विषय पर अपने विचार साझा किए। इस दौरान “ताज़गंज आगरा की विरासत” पुस्तक के विमोचन किया।
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