मातृत्व का सम्मान, सेवा का संकल्प — जेडीयू की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने वृद्धाश्रम में केक काटकर मनाया मदर्स डे

संवाददाता अर्जुन रौतेला। एक ओर आज की पीढ़ी डिजिटल दुनिया में मदर्स डे को सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित कर देती है, वहीं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल हर वर्ष इस दिन को धरातल पर जीती हैं। परंपरा के अनुसार, इस वर्ष भी उन्होंने अपनी टीम के साथ बांदा नरैनी रोड बांदा स्थित वृद्धाश्रम में पहुंचकर वहां रह रहे माता-पिता तुल्य बुजुर्गों के साथ मदर्स डे मनाया।

कार्यक्रम की शुरुआत केक काटकर की गई, जिसमें वृद्धाश्रम के सभी बुजुर्गों ने भाग लिया। इसके बाद शालिनी सिंह पटेल ने अपनी टीम के साथ मिलकर बुजुर्गों को फल, खाद्यान्न सामग्री, गर्म कपड़े और जरूरत की अन्य वस्तुएं वितरित कीं। उन्होंने हर एक बुजुर्ग के पास जाकर उनका हालचाल लिया, उनका आशीर्वाद लिया और उनके अनुभवों को सुना।

संवेदनशीलता और सेवा की मिसाल
शालिनी सिंह पटेल ने इस मौके पर कहा, “मातृत्व केवल जन्म देने तक सीमित नहीं है। यह त्याग, धैर्य, करुणा और आशीर्वाद का वह रूप है जो इन बुजुर्गों में बसता है। हम अगर इनका साथ छोड़ दें, तो आने वाली पीढ़ी संवेदनहीन हो जाएगी। यह कार्यक्रम सिर्फ परंपरा नहीं, जिम्मेदारी है—संस्कारों को जीवित रखने की।”

माता-पिता से बड़ा कोई भगवान नहीं
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने युवाओं से एक भावुक अपील भी की। उनका कहना था, “आज जो भी युवा और युवती जीवन में कुछ बन पा रहे हैं, वह अपने माता-पिता की बदौलत है। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि माता-पिता से बड़ा कोई भगवान नहीं होता। उनका साया ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।”

उन्होंने आगे कहा, “अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देना सिर्फ उनके साथ अन्याय नहीं, बल्कि अपने भविष्य के साथ भी अन्याय है। अपने घर में माता-पिता को स्थान दें—यह हमारा कर्तव्य है, बोझ नहीं।”

बुजुर्गों की आंखों में छलक आई भावनाएं
कार्यक्रम के दौरान कई बुजुर्गों की आंखों में खुशी और भावुकता साफ दिखाई दी। उन्होंने कहा कि “शालिनी बेटी हर साल हमसे मिलने आती है, हमारे लिए केक लाती है, बातें करती है… लगता है जैसे अपना परिवार आ गया हो।”

हर साल करती हैं आयोजन
यह कोई एक बार की पहल नहीं है। शालिनी सिंह पटेल पिछले कई वर्षों से मदर्स डे जैसे खास मौकों पर वृद्धाश्रम में पहुंचकर सेवा करती आ रही हैं। उनका मानना है कि “बुजुर्गों की सेवा से ही समाज की जड़ें मजबूत होती हैं।”

युवाओं के लिए संदेश
उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा, “इंस्टाग्राम पर स्टोरी डालना अच्छा है, लेकिन उससे पहले अगर किसी बुजुर्ग का हाथ थाम लिया जाए, तो वह सबसे बड़ी इंसानियत होगी। हमारे संस्कारों की असली परीक्षा हमारे व्यवहार में झलकती है।”

जेडीयू जिला उपाध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ बांदा आदित्य गोस्वामी
वरिष्ठ पत्रकार रजनी द्विवेदी , दिलीप द्विवेदी, नवीन कुमार मिश्रा, अवधेश कुमार आदि तिलक लगाकर सभी बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया।

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  • अर्जुन रौतेला आगरा

    रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद। सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।। मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना "दर्द अथवा कठिन कर्म" करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।

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